किसी बेहतर छवि के नेता को ‘‘इंडिया’’
का संयोजक बनाने में हिचक क्यों ?
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इसका कारण कई लोग बताने लगे हंै
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सुरेंद्र किशोर
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क्या भाजपा विरोधी दलों को सन 2024 के चुनाव के बाद ऐसा प्रधान मंत्री चाहिए जो सरकार बनते ही भ्रष्टाचार के सारे मुकदमे उठवा ले ?
याद रहे कि भाजपा विरोधी 8 दलों के 32 नेताओं के खिलाफ भ्रष्टाचार
के गंभीर आरोपों के तहत मुकदमे चल रहे हैं।
उनमें से किसी को अदालत से राहत नहीं मिल रही है।
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कांग्रेस समर्थन वापस लेने के लिए मजबूर हो गयी थी जब प्रधान मंत्री चरण सिंह (1979)और प्रधान मंत्री चंद्र शेखर(1990) ने गांधी परिवार के विरुद्ध जारी मुकदमे वापस लेने से इनकार कर दिया था
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कहीं प्रधान मंत्री बनने के बाद कोई ईमानदार नेता ‘‘चरण सिंह और चंद्र
शेखर की कहानी’’ दुहराने लगे तो क्या होगा ?
इसलिए लगता है कि ‘‘इंडिया’’ को या तो कोई दूसरा मनमोहन सिंह चाहिए जिन्होंने अपने शासन काल में लाखों करोड़ रुपए के घोटाले होने दिए थे।
या फिर खुद इंदिरा गांधी की तरह कोई ‘‘आयरन हस्ती’’ चाहिए जिन्होंने मुकदमे के परिणाम से बचने के लिए 1975 में इमरजेंसी लगा दी थी।
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मोदी विरोधी यानी एन.डी.ए.विरोधी गठबंधन ‘‘इंडिया’’ यह योजना बना रहा है कि वह 450 लोक सभा क्षेत्रों में राजग के खिलाफ कोई एक ही उम्मीदवार उतारेगा।
इससे राजग की गत चुनाव की अपेक्षा इस बार सौ सीटें कम हो जाएंगी।
फिर तो ‘‘इंडिया’’ की सरकार बन जाएगी।
सारे आपसी मतभेद और पुराने शिकवे शिकायत भुलाकर राजग विरोधी दलों ने मुख्यतःएक ही उद्देश्य से ‘इंडिया’का गठन किया है।
बड़े -बडे़ प्रतिपक्षी नेताओं को उन गंभीर प्रकृति के मुकदमों में होने वाली सजा से बचाना है।
यदि मोदी तीसरी बार सत्ता में आ गए तो उन नेताओं के कैरियर पूरी तरह बर्बाद हो जाएंगे।बची-खुची संपति भी जब्त हो जाएगी।
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पर,इंडिया के सामने यक्ष प्रश्न है कि किस ऐसे ‘‘अति साहसी’’ नेता को प्रधान मंत्री बनाया जाए जो जरुरत पड़े तो देश में एक बार फिर इमरजेंसी लगा कर भी हमें मुकदमों से बचा ले।
इस पृष्ठभूमि में ‘‘इंडिया’’ के वैसे नेता का भविष्य अनिश्चित हो गया है जो ऐसे मामले में ‘‘कम साहसी’’ रहे हैं।
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ऊपर लिखी बातें गठबंधन ‘‘इंडिया’’
के सूत्रों से मिली जानकारियों या काॅमन सेंस के आधार पर लिखी गयी हैं।
चुनाव में जाने वाला कोई भी गठबंधन यह नहीं कहता कि हम सत्ता में नहीं आएंगे।
उसी तरह राजग कैसे कहेगा कि हम सत्ता से इस बार दूर हो जाएंगे जबकि उसके पास नरेंद्र मोदी जैसे अत्यंत लोक्िरपय नेता हंै।
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हाल के जनमत संग्रहों के नतीजे तो मोदी के ही पक्ष में हैं।
आज कल जनमत संग्रह के नतीजे आम तौर पर सही ही साबित होते रहे हैं।
पर, अभी तो अगले कई महीनों में पता नहीं क्या-क्या होने वाला है और उसका किस गठबंधन पर कैसा नतीजा होने वाला है।
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16 अगस्त 23
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