चर्चित पुस्तक ‘‘आपातकाल एक डायरी’’ से
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26 अगस्त 1975
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सांसदी केस में जब सुप्रीम कोर्ट के जज कृष्णा अय्यर ने
पी.एम. को (पूरी) राहत नहीं दी तो पी.एम.ने
जज के आई.ए.एस. साढ़ू को दी गयी राहत तुरंत वापस ले ली
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सुरेंद्र किशोर
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प्रधान मंत्री इंदिरा गांधी के संयुक्त सचिव बिशन टंडन अपनी डायरी (भाग-2) में लिखते हैं
(सुप्रीम कोर्ट के जज कृष्णा अय्यर के साढ़ू )‘‘आई.ए.एस.शंकरण का दिल्ली में टर्म समाप्त हो चुका है।
पर,श्रम मंत्री उसे रखना चाहते हैं।
बोर्ड के सामने मामला गया तो उसने सिफारिश की कि शंकरण को वापस (तमिलनाडु काॅडर) जाना चाहिए।
प्रधान मंत्री ने भी पहले बोर्ड की सिफारिश मान ली।
इतना हो जाने के बाद रजनी पटेल ने प्रधान मंत्री को बताया कि शंकरण जस्टिस कृष्णा अय्यर के साढ़ू है।
कृष्णा अय्यर की पत्नी की मृत्यु के बाद शंकरण के परिवार से उनको बड़ी सहायता मिलती है।
शंकरण के दिल्ली रहने से कृष्णा अय्यर को बड़ी मदद मिलेगी।
कृष्णा अय्यर प्रधान मंत्री इंदिरा गांधी की स्टे याचिका सुनने वाले थे।(याद रहे कि इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इंदिरा गांधी की लोक सभा की सदस्यता 12 जून 1975 को रद कर दी थी।)
यह जान कर प्रधान मंत्री ने आदेश दे दिया कि शंकरण श्रम मंत्रालय में (यानी दिल्ली में)रुक सकते हैं।
पर,उधर जस्टिस कृष्णा अय्यर ने बिना शर्त लगाए स्टे नहीं दिया।(अपने जजमेंट में कह दिया कि प्रधान मंत्री इंदिरा गांधी सदन की बैठकों में शामिल तो हो सकती हैं,पर,सदन में वह मतदान नहीं कर सकतीं।)
उसके बाद प्रधान मंत्री ने आदेश दे दिया कि ‘‘शंकरण को फौरन वापस जाना चाहिए।’’
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26 अगस्त 23
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