दिघवारा और नया गंाव के बीच ‘न्यू पटना’
बन तो रहा है, पर अव्यवस्थित ढंग से।
बिहार सरकार को चाहिए कि वह
व्यवस्थित विकास में निजी डेवलपर्स
को अभी से मदद भी करे और नियंत्रित भी
अन्यथा,बाद में पछताना पड़ेगा
---------
सुरेंद्र किशोर
--------
पत्नी ने कहा कि ‘‘ चलिए गांव,बीच रास्ते में आपको हाड़ी चाय और लिट्टी -चोखा खिलाऊंगी।
सड़क भी बहुत अच्छी बन गयी है।कोई दिक्कत नहीं होगी।’’
दरअसल आम तौर पर अब मैं कहीं जाता नहीं।
पर,पारिवारिक बंटवारे के बाद जमीन-जायदाद का हाल देखने और उसके बारे में कुछ योजना बनाने के लिए भी मेरा जाना जरूरी था।
मैं टाल रहा था।
खैर, वह दिन कल आ ही गया।
-------------------
कुछ दशक पहले गांव से पटना आने में लगभग पूरा दिन लग जाता था।स्टीमर से गंगा पार करना पड़ता था।
कल तो करीब सवा ग्यारह बजे दिन में हम पटना से निकले और करीब चार बजे शाम तक पटना लौट भी आये।दूरी 51 किलोमीटर।
निर्माणाधीन शेरपुर-दिघवारा 6 लेन गंगा ब्रिज के बन कर तैयार हो जाने के बाद तो मेरे गांव की दूरी काफी घट जाएगी।
इस यात्रा में मेरे पुत्र अमित भी साथ थे।
हमलोग जेपी सेतु पार कर आगे बढ़े और सोनपरु-छपरा रेल लाइन के उत्तर वाली सड़क यानी नेशनल हाईवे पकड़ ली।
-------------------
रेलवे लाइन के उत्तर स्थित एन.एच.के पास ही कहीं स्थानीय संासद राजीव प्रताप रूडी हवाई अड्डा चाहते हैं।
उसके लिए उन्होंने काफी प्रयास किया।
पर अभी तो नहीं हुआ,पर एक न एक दिन होगा।
वह इलाका उस लायक बन भी रहा है।
दूर-दूर फैले हरे -भरे खेतों के बीच से हम अच्छी सड़क पर गुजर रहे थे।सुखद अनुभव।बिहार का विकास हो रहा है भई,हुआ भी है।
जहां -तहां डेवलपर्स और बिल्डर्स उस इलाके को न्यू पटना का स्वरूप देने के काम में तेजी से लग गये हैं।जमीन की कीमत आसमान छू रही है।
हालांकि अभी ही सुव्यवस्थित विकास में राज्य सरकार का हस्तक्षेप नहीं होगा तो वह इलाका भी
बेतरतीब बसावट का नमूना बन जाएगा,साथ ही शासन के लिए सिरदर्द भी।
याद रहे कि मुख्य मंत्री नीतीश कुमार ने कहा था कि शेरपुर दिघवारा पुल बन जाने के बाद दिघवारा से नयागांव का इलाका न्यू पटना बन जाएगा।
-------------
खैर, विकास के मामले में उस इलाके का कायापलट हो रहा है।
लालू प्रसाद के सौजन्य से उस इलाके में पहले से बेला
(दरियापुर अंचल)में रेल पहिया कारखाना मौजूद है।
इन दिनों केंद्र और राज्य सरकार के कारण विकास को और गति मिल गयी है।
-------------
अब आप आइए बेला के गोलू टी शाॅप पर जहां हाड़ी चाय बनती रहती है।
मिट्टी की हाड़ी की चाय हमने भी पी,साथ में लिट्टी और राबड़ी भी खाई।
लिट्टी ने तो मुझे प्रभावित नहीं किया,किंतु चाय और राबड़ी बेजोड़ थी।
मैंने अमित से कहा कि हाड़ी की तस्वीर ले लो।
मिट्टी की हाड़ी में पके भोज्य पदार्थ के फायदे जानने के लिए गुगुल गुरू से संपर्क किया--कई फायदे मिले।
गांव में बचपन में मेरे यहां मिट्टी की हाड़ी में ही दाल बनती थी।
वह स्वाद अब कहां ?
साथ में लोहे की कडाह़ी वाली सब्जी के लिए तरस जाता हूं।
अब भी छठ में खीर मिट्टी की हाड़ी में ही बनती है।
--------------
अब हम पहुंचते हैं--अपने गांव यानी भरहापुर(मौजे-सखनौली,टोले भरहापुर, अंचल- दरियापुर, जिला-सारण।)
खान पुर -भरहापुर जुड़वा गांव दिघवारा -अमनौर स्टेट हाईवे पर अवस्थित है।
शेरपुर -दिघवारा पुल गंगा से उत्तर जहां गिरेगा उससे करीब 3 किलोमीटर पर मेरा गांव है।
गांव में मेरी जो भी जमीन है, वह सब पक्की सड़क पर है।अबाध बिजली की आपूत्र्ति सोने में सुहागा है। 2013 में पहली बार बिजली गयी।
खानपुर-भरहापुर बाजार दिन दूनी रात चैगुनी तरक्की कर रहा है।
काफी दुकानें हैं।कई तरह की सुविधाएं उपलब्ध हैं।
-------------
बीच बाजार में हाईवे से सटे मेरे तीन भाइयों के परिवार की तीन बीघा पुश्तैनी जमीन अब भी खाली है।
बाएं-दाएं- सामने दुकानें हैं।सामने की दुकानों के ठीक पीछे इंटर काॅलेज है।
इस जमीन में से एक बीघा यानी पटना जिले का 25 कट्ठा मेरे हिस्से पड़ा है।
नीचे की तस्वीर उसी जमीन पर ली गई है।
खाली है।
फिलहाल खेती होती है।
---------------
इलाके के मित्रों- परिचितों का दबाव रहा है कि उस जमीन पर कुछ भी निर्माण जल्दी कीजिए।
इस यात्रा में भी यही सुनना पड़ा।
मेरी राय है कि बड़ा स्कूल या अस्पताल या कोई अन्य चीज बने।
जिससे सिर्फ मेरा ही लाभ न हो, बल्कि इलाके को भी रोजगार मिले । कम से कम स्वास्थ्य-शिक्षा के मामले में सबका कल्याण हो।
देखते हैं,कब तक क्या हो पाता है !
एडवांस लेकर दुकानें बना लेना तो आसान काम है।
पर उससे शिक्षा या स्वास्थ्य के क्षेत्र में वह सब नहीं हो पाएगा जो वहां की जरूरत और चाह है।
-------------------
25 दिसयंबर 23
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें