डा. राममनोहर लोहिया न सिर्फ अनुच्छेद-370 के खिलाफ
थे बल्कि वे समान सिविल संहिता के भी पक्ष में थे
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सुरेंद्र किशोर
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प्रमुख कांग्रेस नेता जनार्दन द्विवेदी ने कुछ साल पहले कहा था कि डा.राममनोहर लोहिया अनुच्छेद-370 के खिलाफ थे।
ए.एन.आई.से बातचीत में कांग्रेस के पूर्व महा सचिव द्विवेदी ने कहा कि ‘‘मेरे राजनीतिक गुरू डा.लोहिया हमेशा 370 के खिलाफ रहे।’’
उन्होंने यह भी कहा कि ‘‘मैं व्यक्तिगत हैसियत से यह बात कह रहा हूं।कांग्रेस पार्टी का सदस्य होने के नाते नहीं।’’
याद रहे कि द्विवेदी पहले डा.लोहिया के नेतृत्व वाली पार्टी में ही थे।
संभवतः वे 1974 में कांग्रेस में शामिल हुए थे।सन 1967 में डा.लोहिया का निधन हो गया था।
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खुद मुझे सामान्य नागरिक संहिता के बारे में तो डा.लोहिया की राय मालूम है,पर धारा-370 को लेकर उनकी क्या राय थी,यह मुझे याद नहीं रहा।
पर द्विवेदी ने याद दिला दी।
चूंकि डा.लोहिया वोट बैंक को ध्यान में रख कर कोई बात नहीं करते थे,देश को ध्यान मेें रखकर बात करते थे,इसलिए अधिक उम्मीद इसी बात की है कि उन्होंने 370 की मुखालिफत की हो।
1967 के आम चुनाव से ठीक पहले किसी संवाददाता ने डा.लोहिया से सवाल पूछ दिया था,
‘‘सामान्य नागरिक संहिता के बारे में आपकी क्या राय है ?’
उन्होंने कहा कि ‘‘मैं उसके पक्ष में हूं।
वह तो हमारे संविधान के नीति निदेशक तत्व में शामिल है।’’
डा.लोहिया का यह बयान दूसरे दिन अखबारों में प्रमुखता से छपा।
उसके बाद डा.लोहिया के साथियों ने उनसे कहा ,‘‘डाक्टर साहब,आपने यह क्या कह दिया ?
अब तो आप चुनाव हार जाएंगे।’’
इस डा.लोहिया ने जवाब दिया कि ‘‘मैं सिर्फ चुनाव जीतने के लिए नहीं,बल्कि देश बनाने के लिए राजनीति में हूं।’’
1967 में वे उत्तर प्रदेश के एक ऐसे लोक सभा क्षेत्र से चुनाव लड़ रहे थे जहां मुसलमानों की अच्छी -खासी आबादी थी।
कांग्रेस विरोधी हवा के बावजूद डा.लोहिया वहां से सिर्फ करीब चार सौ मतों से ही जीत पाए।
फिर भी उन्होंने अपनी राय नहीं बदली।
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12 दिसंबर 23
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