अंधे और हाथी की कहानी
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सुरेंद्र किशोर
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हाल के चुनावों में भाजपा की जीत पर प्रतिक्रियाओं को देख-सुनकर मुझे अंधे और हाथी की कहानी याद आ गयी।
कहानी के अनुसार, एक हाथी के अलग -अलग अंगों को प्रत्येक अंधा छू कर महसूस करने और उसका आकार जानने की कोशिश करता है।
जो अंधा जिस अंग को छूता है,वह कहता है कि हाथी ऐसा ही होता है।
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अधिकतर नेताओं व विश्लेषणकर्ताओं ने लगभग वही कहानी दुहराई।
अरे प्रतिपक्षी नेता भाई ,पहले यह तो पता लगाइए कि भाजपा की जीत के कौन-कौन से तीन प्रमुख व वास्तविक कारण रहे।
उन कारणों का तोड़ आपके पास है भी या नहीं ?
यदि है तो उसकी कोशिश कीजिए।
यदि नहीं है तो टुकुर-टुकुर आकाश की ओर ताकिए ।
अपने अच्छे दिनों का इंतजार कीजिए।
अब भाजपा और उसकी सरकारों पर निर्भर है कि वह खुद चंद्रायण-2 बनता है या चंद्रायण-3 ?
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