गुरुवार, 7 दिसंबर 2023

 अपनी इच्छा को ही चुनावी भविष्यवाणी के रूप में 

अक्सर पेश कर देते हैं अनेक बुद्धिजीवी-मसीजीवी गण

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सुरेंद्र किशोर

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हाल के पांच राज्यों के चुनाव के दौरान भी यही हुआ

जो लोग किसी के पक्ष या विपक्ष में हवा बनाने के लिए गलत भविष्यवाणियां करते रहते हैं, वे यह नहीं समझ पाते कि इससे उनकी साख हर बार कुछ और नीचे चली जाती है

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किसी भी चुनाव से पहले देश -प्रदेश के अनेक नामी-गिरामी पत्रकार ,बुद्धिजीवी तथा अन्य लोग प्रिंट,इलेक्ट्रानिक और सोशल मीडिया पर भविष्यवाणियां करते रहते हैं।

पिछले कुछ चुनावों के बारे में की गई कई मतदानपूर्व  भविष्यवाणियां मेरे नोट बुक में दर्ज हैं। 

 कागज छांटते समय उनमें से एक नोटबुक पर आज मेरी नजर पड़ी।

  उन्हें पढ़ने पर मेरा अच्छा-खासा मनोरंजन हुआ।

अधिकतर भविष्यवाणियां रिजल्ट से काफी उलट थीं।

कुछ ही सही साबित हुईं।

 गलत भविष्यवाणी करने वालों में मेरे कुछ मित्र और परिचित भी हैं।

इसलिए उनके नाम जाहिर नहीं करूंगा।

 कुछ ने तो अपने फेसबुक वाॅल पर और  कुछ अन्य ने अखबारों में लिखकर ‘‘हवा का रुख’’ बताया था जो गलत साबित हुआ।

जो जिस विचारधारा का है,(उनकी विचारधारा को मैं जानता हूं) उसने अपनी पसंद की पार्टी की ही अपने अनुमान में बढ़त दिखा दी।

  वैसे कुछ ‘‘भविष्यवक्ता’’ लगभग हर चुनाव से पहले वैसी ही गलती करते हैं।

  हालांकि वे नामी-गिरामी लोग हैं।वे पाठकों,दर्शकों और श्रोताओं की कमजोर स्मरण शक्ति का फायदा उठाते रहते हैं।

 उन्हें अपनी साख की कोई चिंता नहीं।

क्या वे कभी अपनी ही पिछली भविष्यवाणियों को रिजल्ट से मिलाते हैं ?

अपनी गलतियों से कोई सबक लेते हैं ?

  मित्र, जब आपको ही अपनी साख की चिंता नहीं है तो मैं चिंता क्यों करूं ?

मुझे किसी दल को न जितवाना है और न हरवाना है।

यह काम मतदाताओं का है।

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अंत में यही कहूंगा कि आप अपना काम करते रहिए।

उससे रिजल्ट के बाद मेरा मनोरंजन होता रहेगा।

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7 दिसंबर, 23

  


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