बुधवार, 13 दिसंबर 2023

 भूली-बिसरी यादें

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इंदिरा गांधी की वसीयत 

में वरुण गांधी के भविष्य की चिंता

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क्या यह खबर सही है कि राहुल 

और वरुण हाल में आपस में मिले हैं ?

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सुरेंद्र किशोर

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यदि हां,तो लगता है कि सोनिया परिवार ने इंदिरा गांधी की वसीयत पढ़ ली है।या उस पर इधर ध्यान दिया है।

शायद यह भी उम्मीद जगाई जा रही है कि जो काम राहुल नहीं कर पा रहे हैं,वह काम वरुण सोनिया परिवार के साथ मिल कर शयद दें !!

वैसे तो वह काम अब असंभव ही लगता है।पर,कोशिश करने में हर्ज ही क्या है ?

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4 मई, 1981 को इंदिरा गांधी ने अपनी वसीयत में अन्य बातों के अलावा यह भी लिखा कि

 ‘‘मैं यह देखकर खुश हूं कि राजीव और सोनिया ,वरुण को उतना ही प्यार करते हैं जितना अपने बच्चों को।

  मुझे पक्का भरोसा है कि जहां तक संभव होगा,वो हर तरह से वरुण के हितों की रक्षा करेंगे।’’

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अब तो दोनों को आपस में मिलकर दोनों के हितों की रक्षा करनी है।

क्या वे कर पाएंगे ?

यदि प्रतिपक्ष मजबूत और ‘जिम्मेदार’ बने तो लोकतंत्र को फायदा होता है।

वैसे नरेंद्र मोदी का विकल्प बनना तो अभी किसी के लिए निकट भविष्य में मुश्किल ही है। 

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13 दिसंबर 23

    


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