रविवार, 7 जून 2020

   आज की पीढ़ी खोजती है नेहरू 
  युग पर लिखी मथाई की किताबें
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 ‘‘नेहरू युग -जानी अनजानी बातें’’ 
और ‘‘नेहरू के साथ तेरह वर्ष।’’
इन नामों से एम.ओ.मथाई ने दो किताबें लिखीं।
मूल किताबें अंग्रेजी में हैं।
मथाई 13 साल तक जवाहरलाल नेहरू के निजी सचिव थे।
नेहरू के बुलावे पर उनके निजी सचिव बने थे।
सत्तर के दशक में ये चर्चित व विस्फोटक किताबें आई थीं।
पर थोड़े ही दिनों के भीतर भारत सरकार ने उन पर प्रतिबंध लगा दिया।
वह इस देश में बिक्री के लिए उपलब्ध नहीं है।
कुछ लोग आॅनलाइन मंगा कर पढ़ते हैं।
कुछ महीने पहले तक एक किताब की कीमत करीब 5 हजार रुपए पड़ती थी।
अब शायद सस्ती हुई है।
 इस तरह देश के अधिकतर लोग नेहरू युग की शासन शैली व जानी-अनजानी बातें जानने से वंचित रह गए हैं।
वह समय देश के पुनर्निर्माण का था।
मथाई ने साफ साफ लिखा है कि हमारे तब के शासकगण उस काम में गंभीर थे या कुछ दूसरे ही काम कर रहे थे।
उन्होंने लिखा है कि आजादी के तत्काल बाद से ही किस तरह भ्रष्टाचारियों को खुली छूट दे दी गई थी।
यह छूट सरकार के भीतर के कुछ लोगों को थी और बाहर के कुछ लोगों को भी।
   इन किताबों में सिर्फ नेहरू के बारे में ही बातें नहीं हैं,बल्कि तब के अधिकतर  बड़े नेताओं के बारे में ऐसी -ऐसी बातें हैं जो आपको अन्यत्र कहीं पढ़ने को नहीं मिलेंगी।
 यानी मध्यकालीन भारत के इतिहास की बहुत सारी बातें राजनीतिक कारणों से इतिहास में दर्ज नहीं होने नहीं दी गईं।
उसी तरह नेहरू युग की बहुत सारी बातें जब लिख दी गईं तो उन किताबों को ही प्रतिबंधित कर दिया गया।
यानी मध्यकालीन भारत और नेहरू युग के पूरे इतिहास से इस देश के लोग वंचित हो गए।
हम अधूरे इतिहास पर संतोष कर रहे हैं।
  जो समाज अपना सही व पूरा इतिहास नहीं जान पाता ,वह  इतिहास की गलतियों को दुहराने के लिए अभिशप्त होता  है।
क्या मथाई की पुस्तकों पर से प्रतिबंध हटाने के निर्णय पर केंद्र सरकार
पुनर्विचार नहीं कर सकती ?
कई लोग यह सवाल करते हैं।
क्या सिर्फ मध्ययुगीन इतिहास के गलत तथ्यों को ही सुधारा जाएगा ?
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कुछ लोग कहते हैं कि उन किताबों में बहुत सी आपत्तिजनक बातें लिखी गई हैं।
यहां तक कि उन किताबों के छपने के बाद खुशवंत सिंह ने गुस्से में कह दिया था कि मथाई को चैराहे पर कोड़े लगाए जाने चाहिए।
    दूसरी ओर, मेरी समझ से मथाई ने नेहरू युग की अच्छी-बुरी दोनों तरह की बातें लिख दी हैं।
अच्छी बातें तो इतिहास के सारे पात्र स्वीकार कर लेते हैं।
पर अपने खिलाफ की शिकायत भरी बातों पर वे सख्त नाराज हो जाते हैं।
भले वे बातें सच्ची हों। 
नेहरू के प्रति मथाई के मन में जितना  सम्मान था,वह उनकी  एक टिप्पणी से प्रकट होती है,
‘‘जार्ज फर्नांडिस नेहरू के जूते के फीते बांधने लायक योग्यता भी नहीं रखता।’’
याद रहे कि जार्ज ने तब नेहरू के खिलाफ एक बयान दिया था जिस पर मथाई नाराज थे।
---सुरेंद्र किशोर--6 जून 20
  
       

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