मेरे कई मित्र और परिचित हैं जो मुझसे विभिन्न विषयों या हस्तियों पर बिलकुल अलग राय रखते हैं।
या यूं कहें कि मैं उनसे अलग राय रखता है।
दोनों को यह हक हासिल है।
मैं कभी परिचित -मित्र के वाॅल पर जाकर न तो उनकी बातों-विचारों को खंडन करता हूं या न उन्हें कोई उपदेश,संदेश या निदेश देता हूं।
पर, यही संयम कई लोग नहीं अपनाते ।
ऐसे लोगों को मैं अमित्र या अनफं्रेंड कर देता हूं ताकि संबंध तो बना रहे।
कोई कटुता न आए।
हमलोग यदि एक दूसरे को बहस में हरा दें तो उसी से देश में कोई क्रांति या बदलाव नहीं आ जाने वाला है।
फिर नाहक बतकूचन क्यों ?
एक दूसरे से जानकारियां लीजिए।
तथ्य गलत हो तो बता दीजिए।
सही हो और दिमाग खुला हो तो उसे ग्रहण कर लीजिए।
बस अपनी -अपनी ‘राह’ पर चलते रहिए।
आप भी मगन, हम भी मगन !
--सुरेंद्र किशोर--20 जून 20
या यूं कहें कि मैं उनसे अलग राय रखता है।
दोनों को यह हक हासिल है।
मैं कभी परिचित -मित्र के वाॅल पर जाकर न तो उनकी बातों-विचारों को खंडन करता हूं या न उन्हें कोई उपदेश,संदेश या निदेश देता हूं।
पर, यही संयम कई लोग नहीं अपनाते ।
ऐसे लोगों को मैं अमित्र या अनफं्रेंड कर देता हूं ताकि संबंध तो बना रहे।
कोई कटुता न आए।
हमलोग यदि एक दूसरे को बहस में हरा दें तो उसी से देश में कोई क्रांति या बदलाव नहीं आ जाने वाला है।
फिर नाहक बतकूचन क्यों ?
एक दूसरे से जानकारियां लीजिए।
तथ्य गलत हो तो बता दीजिए।
सही हो और दिमाग खुला हो तो उसे ग्रहण कर लीजिए।
बस अपनी -अपनी ‘राह’ पर चलते रहिए।
आप भी मगन, हम भी मगन !
--सुरेंद्र किशोर--20 जून 20
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