श्रीलंका की घटनाओं से सबक लेने का वक्त
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सुरेंद्र किशोर
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राजनीति मंें परिवारवाद-भ्रष्टाचार ने श्रीलंका को बर्बाद कर दिया।
पांच राजपक्षे भाइयों ने मिलकर देश को लूटा।
इस परिवार के पास देश की सरकार का 70 प्रतिशत बजट था।
वित मंत्री को ‘‘मिस्टर टेन परसेंट’’कहा जाता था।
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इस उदाहरण को देखते हुए भारत के परिवारवादी-वंशवादी राजनीतिक परिवारों का एक दिन क्या हाल होगा ?!!
यहां तो अब अत्यंत थोड़े से अपवादों के छोड़कर सिर्फ 10 प्रतिशत से तो किसी को संतोष ही नहीं है-चाहे नेता परिवारवादी हो या नहीं हो।
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राजनीति का परिवारवाद यहां भी ढह रहा है।पर बहुत धीरे -धीरे ।
क्या पूरी तरह ढह जाने के पहले उन्हें कुछ और कारनामा करना है ?
पहले ही परिवारवाद-वंशवाद-भ्रष्टाचार से यह देश व खुद कुछ दल एक हद तक बर्बाद हो चुके हैं।
यहां भी किसी दल को जब जातीय-धार्मिक वोट बैंक की ताकत मिल जाती है तो वह सरकार में आने पर लूटने लगता है।
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अब जरा श्रीलंका पर आएं
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श्रीलंका सरकार में एक ही परिवार(राजपक्षे परिवार) के पांच सदस्य शीर्ष पदों पर विराजमान थे।
वे थे--
1.-गोटाबाया राजपक्षे-राष्ट्रपति
( रक्षा मंत्रालय इन्हीं के पास ।)
2.-महेंद्र राजपक्षे--प्रधान मंत्री
3.-बासिल राजपक्षे-वित्त मंत्री-
(इन्हें बी. बी. सी. ने एक बार ‘मिस्टर 10 परसेंट’ कहा था।)
4.-चमल राजपक्षे-सिंचाई मंत्री
5.-नमल राजपक्षे--युवा व खेल मंत्री
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अब वे कहां हैं ? !!
भागे-भागे फिर रहे हैं।
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10 जुलाई 22
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