कल और आज !
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(अपवादों को छोड़कर)पहले की नई पीढ़ियों कहती थीं--
‘‘मैं आज जो कुछ भी हूं ,वह माता-पिता
और गुरुजन की कृपा से।’’
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(अपवादों को छोड़कर)आज की नई पीढ़ी कहती है कि मैंने सिर्फ अपने बल पर उपलब्धियां हासिल की हैं।
यदि माता-पिता का सहयोग मिल गया होता तो मैं अपने जीवन में और भी आगे बढ़ जाता।
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किसी ने ठीक ही कहा है कि आज की पीढ़ी(अपवादों को छोड़कर)
अपने बुजुर्ग माता-पिता के प्रति अपनी जिम्मेदारियों से भागने के लिए ही यह कहती है कि उन्होंने मेरे लिए किया ही क्या था,मेरी उपेक्षा के सिवा !!
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सुरेंद्र किशोर
18 जुलाई 22
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