नोटों के पहाड़ पर पार्थो चटर्जी !
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सुरेंद्र किशोर
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सार्वजनिक क्षेत्र मंे गुणवत्तापूर्ण स्कूली शिक्षा किसी भी गरीब देश की संवेदनशील सरकार की प्राथमिकता में रहनी चाहिए।
क्योंकि शिक्षा के निजी क्षेत्र उनके लिए है जिनके पास पैसे हैं।
पर जब स्कूली शिक्षकों की बहाली के एवज में
कोई शिक्षा मंत्री अपने ठिकानों पर नोटों का पहाड़ खड़ा कर ले तो गरीबों के बच्चे उन अयोग्य शिक्षकों से कैसी शिक्षा हासिल कर पाएंगे ?
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बहाली में भीषण भ्रष्टाचार के कारण शिक्षा की गुणवत्ता के क्षरण की समस्या बिहार सहित देश के अनेक राज्यों में भी है।
क्या पार्थो चटर्जी जैसे धनलोलुप मंत्री गरीबों के घरों के नौनिहालों के भविष्य, प्रकारांतर से देश के भविष्य, के साथ खिलवाड़ करते रहेंगे और देश मूक दर्शक बना रहेगा ?
कोलकाता में अर्पिता के घरों में नोटों के पहाड़ देख कर भले आज देश गुस्से में है।
किंतु स्कूली शिक्षा या फिर पूरी शिक्षा व्यवस्था के बर्बाद होते जाने की समस्या इस देश में दशकों पुरानी है।अब भी चेत जाने का समय है।
सर्जिकल स्ट्राइक की जरूरत है।केंद्र और राज्य सरकारें कैंसर जैसी इस समस्या पर मिल बैठकर विचार करे।
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29 जुलाई 22
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