गुरुवार, 21 जुलाई 2022

 ख्चाहिशों का मोहल्ला बहुत बड़ा होता है।

बेहतर है, हम जरूरतों की गली में मुड़ जाएं

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समय से पहले और तकदीर से ज्यादा कभी 

किसी को कुछ नहीं मिलता

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पिछले कुछ दशकों में मैंने अनेक पदाकांक्षी राजनीतिक कर्मियों को पदतृष्णा की पूर्ति के अभाव में कलटते-कलपते और पद-दाताओं को गरियाते देखा-सुना है।

उनमें से कई गुजर गए।

कई अन्य अब भी मृगतृष्णा के पीछे हैं।

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दरअसल आप कितने महत्वपूर्ण हैं,यह तो आप जानते हैं।

किंतु अधिक महत्वपूर्ण बात यह है कि ‘‘पद-दाताओं’ की नजर में कुल मिलाकर आपकी कितनी उपयोगिता है।

उसके ‘स्केल’ पर आप का स्थान कितना ऊंचा या नीचा है।

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कुछ न पाने का अफसोस क्यों ?

राजनीति के अलावा भी बहुत से क्षेत्र हंै जहां जाकर आप अपनी प्रतिभा दिखा सकते हैं,जन सेवा कर सकते हैं।

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मेरी बातें उन पर लागू नहीं होतीं जो अपने अपार पैसों के 

बल पर जीवन में कुछ भी हासिल कर लते हैं।

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सुरेंद्र किशोर

21 जुलाई 22


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