ऐसे किसी ‘राजनीतिक अनुमान’ को
क्यों दुहराना जो वर्षों से लगातार
गलत साबित हो रही है !
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सुरेंद्र किशोर
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इन दिनों देश के अलग-अलग हिस्सों से मेरे मित्रों और परिचितों के फोन आते रहते हैं।
उनका एक ही सवाल होता है।
क्या नीतीश कुमार की सरकार जा रही है ?
महाराष्ट्र की ताजा राजनीतिक घटना के बाद आज भी मुझे
एकाधिक फोन आए।
मैंने सोचा कि मैं इस मीडिया के जरिए इस संबंध में अपना
आकलन बता दूं।
सबके फोन के जवाब देना मुश्किल होता है।
वह भी एक ही बात कहने के लिए।
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बिहार में मौजूदा सरकार रहेगी या जाएगी,उसके बारे में सिर्फ तीन व्यक्तियों में से कोई एक पक्के तौर पर बता सकते हैं।
वे हैं-नरेंद्र मोदी, अमित शाह और नीतीश कुमार।
इन तीनों में से किसी ने परिवर्तन का कोई संकेत नहीं दिया है।
उल्टे केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने गत 29 जून को पटना में कहा कि 2025 का बिहार विधान सभा चुनाव राजग, नीतीश कुमार के नेतृत्व में ही लड़ेगा।
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मेरा ‘राजनीतिक एंटेना’ भी यही कहता है कि नीतीश सरकार पर फिलहाल कोई खतरा नहीं है।
यदि मीडिया के एक हिस्से के पास चैंकाने वाली खबर नहीं मिल रही है तो मेरी राय है कि वह सूचना के अधिकार का इस्तेमाल करके बिहार में चल रहे विकास व कल्याण से संबंधित सरकारी खबरें निकाले।
वे न सिर्फ जनहित में हांेगी, बल्कि चैंकाने वाली भी होंगी।
ऐसा करने पर उसे पेशेवर संतुष्टि भी मिलेगी।
उसकी जगह वर्षों से ऐसी एक खबर प्रसारित-प्रचारित करने से क्या फायदा जो लगातार गलत साबित हो रही हो !
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1 जुलाई 22
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