सत्तर के दशक में सही साबित हुआ था
जयप्रकाश नारायण का राजनीतिक पूर्वानुमान
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सुरेंद्र किशोर
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त्रिभाषी साप्ताहिक पत्रिका ब्लिट्ज (25 जनवरी 1975, बंबई )से बातचीत में जयप्रकाश नारायण ने जो राजनीतिक पूर्वानुमान लगाया था,वह सन 1977 के मार्च में सच साबित हो गया।
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नेहरू परिवार के प्रति आम तौर से नरम रहे जेपी ने प्रधान मंत्री इंदिरा गांधी से सिर्फ एक ही मांग की थी।वह यह कि वह बिहार विधान सभा को भंग करके फिर से चुनाव करवा दें।क्योंकि यह विधान सभा जनता का विश्वास खो चुकी है।
उससे ठीक पहले मोरारजी देसाई के अनशन के दबाव में आकर इंदिरा गांधी गुजरात विधान सभा चुनाव करवा चुकी थीं।
पर,बिहार के मामले में ‘‘एकाधिकारवादी’’ इंदिरा जी जिद्द पर अड़ गईं।उन्होंने भंग करने की मांग ठुकरा दी।
याद रहे कि जेपी के नेतृत्व में बिहार
में छात्रों-युवकों ने सन 1974 में आंदोलन शुरू किया था।
इस बीच ब्लिट्ज के संवाददाता ए.राघवन और हसन कमाल ने जेपी से लंबी बातचीत की।
उस बातचीत में जेपी ने कहा कि ‘‘बिहार आंदोलन एक सड़ी-गली व्यवस्था के खिलाफ चलाया जा रहा है।’’(हालांकि पीछे देखने पर यह तय करना मेरे लिए कठिन जान पड़ता है कि आज की व्यवस्था अधिक सड़ी-गली है या 1975 की !!)
जेपी ने कहा कि इसका इंदिरा हटाओ के मामले से कोई संबंध नहीं है।
जेपी ने साफ शब्दों में कहा कि ‘‘लेकिन यदि प्रधान मंत्री अपनी मौजूदा नीति पर अड़ी रहीं ,तो इस आंदोलन का उठता हुआ तूफान दूसरी बहुत सी चीजों के साथ प्रधान मंत्री को भी किनारे कर देगा।यानी आंदोलन उन्हें सत्ता से हटा देगा।’’
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1977 के मार्च में हुए लोक सभा चुनाव में केंद्र से कांग्रेस की सत्ता चली गई।यहां तक कि खुद इंदिरा गांधी रायबरेली और संजय गांधी अमेठी लोक सभा क्षेत्र में बुरी तरह हार गये।
उत्तर भारत की लगभग सभी सीटें कांग्रेस हार गई थी।
जेपी आंदोलन का दक्षिण भारत पर असर नहीं था।
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12 मार्च, 1977 को हमने भी दैनिक ‘आज’ के लिए जे पी का इंटरव्यू किया था।
इस बातचीत में उन्होंने कहा था कि यदि हम लोक सभा चुनाव जीत गए तो बिहार सहित विधान सभाओं को भी भंग कराकर फिर से चुनाव करवाएंगे।
वही हुआ भी।
1977 के मार्च की किसी तारीख को ‘आज’ के पहले पेज पर प्रकाशित इस इंटरव्यू को बी बी सी ने अपने बुलेटिन में उधृत किया था।
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9 मई 23
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