कम्युनिस्ट -इस्लामिस्ट रिश्ता
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सज्जाद जहीर की पाकिस्तान पीड़ा से
भी कम्युनिस्टों ने शिक्षा नहीं ली
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सुरेंद्र किशोर
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दुनिया में जहां भी कम्युनिस्टों का शासन है,वहां मुसलमानों का जीना मुश्किल है -जैसे चीन में उइगर मुसलमानों पर अभूतपूर्व जुल्म ढाए जा रहे हैं।
दूसरी ओर, जहां मुसलमानों का शासन है जैसे पाकिस्तान वहां कम्युनिस्ट पार्टी को काम करने की इजाजत नहीं है।
लगभग यही हाल अन्य कम्युनिस्ट और मुस्लिम देशों का है।
पर, भारत एक ऐसा देश है जहां कम्युनिस्ट और अतिवादी मुस्लिम एक दूसरे के मददगार रहे हैं।
उसका ताजा उदाहरण केरल है।
वहां की माकपा सरकार पी.एफ.आई.की खुलकर मदद करती रही है।
पी.एफ.आई.का घोषित लक्ष्य है कि हथियारों के बल पर सन 2047 तक पूरे भारत को इस्लामिक देश बना देना है।
पर,पी.एफ.आई.को इस बात का अफसोस है कि उसके साथ यहां के 10 प्रतिशत मुसलमान भी नहीं हैं।
(यह भारत के लिए शुभ संकेत है।
क्योंकि भारत के अधिकतर मुस्लिम शांतिप्रिय हैं।
हालंाकि कोई अन्य तथाकथित सेक्युलर दल भी पी.एफ.आई.के खिलाफ खुलकर नहीं बोलता है।)
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सन 1942 में प्रमख कम्युनिस्ट नेता गंगाधर अधिकारी ने एक सिद्धांत दिया था।
वह यह था कि भारत कोई राष्ट्र नहीं है।
इसलिए यह आने वाले वर्षों में कई भागों में बंट जाएगा।
सन 1947 में तो पाकिस्तान बन गया।
केरल के माकपा के मुख्य मंत्री ने जब वहां के डी.जी.पी.की सिफारिश के बावजूद पी.एफ.आई.पर प्रतिबंध नहीं लगाया तो केंद्र सरकार ने प्रतिबंध लगा दिया।
पी.एफ.आई.की हिंसा से जब केरल की सरकार ने ईसाइयों को नहीं बचाया तो ईसाई लोग भाजपा से अब जुड़ने लगे हैं।
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पाक से लौटना पड़ा था सज्जाद जहीर को
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सज्जाद जहीर उत्तर प्रदेश के एक अच्छे खानदान से आते थे।
उनके पिता न्यायाधीश थे।
फिर भी उन्होंने संघर्ष का जीवन अपनाया।
आजादी की लड़ाई में कूद पड़े।
कम्युनिस्ट बने।
उन्होंने प्रगतिशील लेखक संघ की स्थापना की।
भारत के बंटवारे के बाद सी.पी.आई.ने इस प्रमुख कम्युनिस्ट नेता सज्जाद जहीर को पाकिस्तान भेजा ताकि वे वहां बेहतर ढंग से पार्टी का काम हो सके।
पर, वहां जाकर जहीर को निराशा हुई।
वहां उनके काम करने का कोई माहौल ही नहीं था।
उन्हें सन् 1951 में धर्म के नाम पर गठित पाक सरकार ने सज्जाद जहीर को वहां की जेल में डाल दिया।
प्रधान मंत्री जवाहरलाल नेहरू की मदद से किसी तरह जेल से छूटे और सन 1954 में भारत लौट सके।
सन 1973 में उनका निधन हो गया।
याद रहे कि फिल्म अभिनेता राज बब्बर की पहली शादी सज्जाद जहीर की बेटी नादिरा से हुई थी।
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दलित नेता जोगेंद्र नाथ मंडल का भी यही हाल हुआ था।वे विभाजन के बाद पाक चले गये।वहां मंत्री बन गए।पर,जब उन्होंने देखा कि वहां तो दलितों का भी तेजी से धर्मांतरण हो रहा है और उनका कुछ नहीं चल रहा है तो वे भागे -भागे भारत लौट आए।
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4 मई 23
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