यह प्रचार गलत है कि सरदार पटेल की अंत्येष्टि
में प्रधान मंत्री नेहरू शामिल ही नहीं हुए थे
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सुरेंद्र किशोर
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मैं भी इस कुप्रचार में आ गया था।कुप्रचार यह कि सरदार पटेल की अंत्येष्टि में प्रधान मंत्री जवाहरलाल नेहरू शामिल नहीं हुए थे।
सरदार पटेल का 1950 में निधन हुआ था।
सन 2013 में ही अंग्रेजी साप्ताहिक आउटलुक ने यह गलतफहमी दूर कर दी थी।
पत्रिका के उस अंक पर तब मेरा ध्यान नहीं गया था।आज गया।
उसके कवर पर तब के टाइम्स आॅफ इंडिया के पहले पेज की फोटो काॅपी छपी है।
सरदार पटेल की अंत्येष्टि की खबर का उप शीर्षक है--राष्ट्रपति प्रधान मंत्री अंत्येष्टि में शामिल हुए
(आउटलुक का वह कवर पेज इस पोस्ट के साथ यहां दिया जा रहा है जिस पर अखबार की फोटोकाॅपी छपी है।)
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दरअसल तब किसी ने अफवाह फैला दी होगी।किसी अन्य ने बाद में कहीं लिख दिया होगा।
अफवाह तो स्नोबाॅल की तरह होती है।आगे लुढकने के साथ मोटी होती जाती है।
दरअसल नेहरू ने पटेल की, उनके जीवन काल में इतनी उपेक्षा की थी कि ऐसी अफवाह को सच मानने के लिए अनेक लोग तैयार बैठे थे।
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एक अफवाह बिहार को लेकर भी
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1989 के भागलपुर दंगे के समय प्रधान मंत्री राजीव गांधी भागलपुर गए थे।
उस समय सत्येंद्र नारायण सिंह बिहार के मुख्य मंत्री थे।
उस यात्रा के बाद कांग्रेस के (सत्येंद्र बाबू से) दिलजले नेताओं ने यह प्रचार कर दिया कि सत्येंद्र बाबू तो बीमारी का बहाना बनाकर पटना में ही रह गए थे।
वे प्रधान मंत्री के साथ वहां गए ही नहीं।
मैंने हाल में वह कुप्रचार कहीं छपा हुआ देखा।
वैसे तो मुझे सत्येद्र बाबू ने खुद बताया था कि वे उस दिन भागलपुर गए थे।
फिर भी हाल में मैंने तब उनके प्रमुख सचिव रहे आर.यू.सिंह से पूछा।उन्होंने कहा कि छोटे साहब पी.एम.के साथ उस दिन भागलपुर में थे।
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अखबारों को रफ हिस्ट्री कहा जाता है।
फेयर हिस्ट्री तो अलग चीज है।सही इतिहासकार या पुस्तक लेखक अखबारों से मुख्यतः सूत्र ग्रहण करता है।फिर वह तथ्यों की कहीं और से भी पुष्टि करता है।अन्यथा, इतिहास बनेगा कि नेहरू पटेल की अंत्येष्टि में नहीं गए थे।
और,1989 में मुख्य मंत्री बीमारी का बहाना बना कर पी.एम.के साथ भागलपुर नहीं गए।
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3 मई 23
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