अल्पसंख्यक मतों की एकजुटता जारी
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सुरेंद्र किशोर
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हाल के वर्षों में हुए बंगाल,यू.पी. और केरल विधान सभा चुनावों की तरह ही कर्नाटका के ताजा चुनाव में भी मुस्लिम मतदाताओं ने एकजुट होकर मतदान किया है, ऐसा संकेत मिल रहा है।
यह एकजुटता आगे भी जारी रहने की उम्मीद है।
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लगता है कि कर्नाटका विधान सभा के चुनाव में इस बार अल्पसंख्यक मतों का ध्रुवीकरण कांग्रेस के पक्ष में हो गया था।मुस्लिम बहुल और देवगौड़ा के प्रभाव वाले इलाके में जे डी एस को उनके वोट मिलने ही थे।
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इससे पहले गत पश्चिम बंगाल विधान सभा चुनाव में अल्पसंख्यक मतों का धुव्रीकरण ममता बनर्जी के पक्ष में हुआ था।
नतीजतन माकपा और कांग्रेस शून्य पर आउट हो गए थे।
उस समय अधीर रंजन चैधरी ने कहा था कि मुसलमान मतदाताओं ने कांग्रेस को ं छोड़ दिया।सी.पी.एम.ने अपने प्रभाव वाले मुसलमानों से कहा कि आप लोग भी ममता की
पार्टी को वोट दे दीजिए।
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उत्तर प्रदेश विधान सभा चुनाव में अल्पसंख्यकों ने लगभग एकजुट होकर सपा के पक्ष में मतदान किया।नतीजतन बसपा-कांग्रेस की खटिया खड़ी हो गई।
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इसीलिए तथाकथित सेक्युलर दलों को अल्पसंख्यक मत पाने के लिए कोई विशेष अतिवादी-एकतरफा रुख अपनाने या बयान देने की कोई आवश्यकता नहीं है।
अन्यथा, वह प्रति-उत्पादक साबित हो सकता है।
अल्पसंख्यक मतदाता ऐसे भी बहुत होशियार होते हैं।इन दिनों कुछ और चतुर हो गए हैं।
वे उसी दल के पक्ष में मतदान कर रहे हैं और करेंगे जो दल या उम्मीदवार भाजपा के खिलाफ सर्वाधिक मजबूत दिखाई पड़ेंगे।
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13 मई 23
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