एक राजनीतिक दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष व केंद्र में मंत्री रह चुके नेता के
दल बदल को देख कर आपको कैसा लगता है ?
मुझे तो लगता है कि राजनीतिक क्षेत्र में ‘उपकार’ शब्द के लिए कोई जगह नहीं है।
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दूसरी ओर,
संवैधनिक पद पर रह चुके एक काबिल नेता के राजनीतिक संन्यास को देख कर आपको कैसा लगता है ?
मुझे तो लगता है कि राजनीतिक ‘संग्राम’ के मैदान में एम्बुलेंस नहीं हुआ करता।
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सुरेंद्र किशोर
12 मई 23
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