कर्नाटका में पी.एफ.आई.के राजनीतिक संगठन के
साथ कांग्रेस का चुनावी तालमेल
ऐसा ही तालमेल सन 2018 के चुनाव में भी था
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सुरेंद्र किशोर
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अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार ने जेहादी संगठन सिमी पर सन 2001 में प्रतिबंध लगा दिया था।
उसके बाद सिमी तथा कुछ अन्य अतिवादी संगठनों ने मिलकर पहले इंडियन मुजाहिद्दीन और बाद में पी.एफ.आई. बनाया।
नरेंद्र मोदी सरकार ने पी.एफ.आई.पर प्रतिबंध लगाया।
याद रहे कि पी.एफ.आई.ने सन 2047 तक हथियारों के बल पर भारत को इस्लामिक देश बना देने का लक्ष्य तय कर रखा है।उसके लिए वह लगातार काम भी कर रहा है।
पी.एफ.आई.का राजनीतिक संगठन है एस.डी.पी.आई.।
पी.एफ.आई.का महिला संगठन भी है।
सितंबर, 2017 में पूर्व उप राष्ट्रपति हामिद अंसारी केरल के कोझीकोड में आयोजित महिलाओं के एक सम्मेलन में शामिल हुए थे।
वह महिला संगठन पाॅपुलर फं्रट आॅफ इंडिया से संबद्ध है।
उस समय उस पर काफी विवाद हुआ था।
सिमी पर जब प्रतिबंध लगा तो सिमी ने सुप्रीम कोर्ट में प्रतिबंध हटाने के लिए याचिका दायर की।तब सिमी के वकील थे बड़े कांग्रेसी नेता सलमान खुर्शीद।
यानी,सिमी-पी.एफ.आई.-एस.डी.पी.आई.से कांग्रेस का मधुर संबंध रहा है।
सन 2018 के कर्नाटका विधान सभा चुनाव में भी कांग्रेस ने एस.डी.पी.आई. से कुछ क्षेत्रों में चुनावी तालमेल किया था।
इस बार भी दोनों दलों में वैसा ही तालमेल है।
(अभी -अभी मैंने अपने इस वाॅल पर ‘टाइम्स नाऊ’ का एक आइटम शेयर किया है।उसे पढ़ लीजिएगा।देश को सुरक्षित रखना चाहते हों तो इन सब चिंताजनक विवरणों को जरूर पढ़िए।)
याद रहे कि सब कुछ जानते हुए भी कांग्रेस ने न तो सिमी पर प्रतिबंध लगाया और न ही पी.एफ.आई. पर।
यह देश के लिए कितनी चिंता की बात है,वह आप समझिए।
कल्पना कीजिए कि कांग्रेस कर्नाटका में और बाद में केंद्र में सत्ता में आ जाए तो पी.एफ.आई. को काम करने में कितनी बड़ी सुविधा मिल जाएगी।
पी.एफ.आई. को केरल की माकपा सरकार ने खुली छूट दे रखी है।
वहां के ईसाई पी.एफ.आई. की हिंसा और लव जेहाद से इतने परेशान हैं कि वे भाजपा में जा रहे हैं।क्योंकि माकपा सरकार से उन्हें सुरक्षा नहीं मिल रही है।
याद रहे कि सन 2008 में जब पाक आतंकवादियों ने मुम्बई के ताज होटल आदि पर हमला किया तो कुछ लोगों ने मनमोहन सरकार को सलाह दी थी कि वह पाकिस्तान पर सख्त कार्रवाई करे।
अपुष्ट खबर के अनुसार मनमोहन सरकार ने
कहा था कि वैसा करने पर सन 2009 के आगामी लोक सभा चुनाव में हमें मुस्लिम वोट नहीं मिलेंगे।
2014 के लोक सभा चुनाव के बाद ए.के.एंटोनी कमेटी ने कहा था कि हम कांग्रेसी इसलिए भी हारे क्योंकि लोगों की यह धारणा बनी कि हमारी पार्टी का झुकाव मुसलमानों की ओर अधिक था।इसे लोगों ने अच्छा नहीं माना।
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