शनिवार, 8 मार्च 2025

   वंशवाद की कमजोरियां

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यदि उत्तराधिकारी, अयोग्य हो तो ऐसे बर्बाद 

होती है वंशवादी- परिवारवादी पार्टी 

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सुरेंद्र किशोर

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राजीव गांधी न सिर्फ शैक्षणिक जीवन में दो बार फेल हुए 

थे,बल्कि उनका राजनीतिक करियर भी कांग्रेस के लिए विनाशकारी ही रहा।

सन 1984-89 में उन्होंने पी.एम.के रूप में ऐसे-ऐसे काम किये कि उसके बाद कांग्रेस लोक सभा में पूर्ण बहुमत के लिए आज तक तरस रही है।

प्रतिपक्ष के नेता के रूप में भी राजीव गांधी की भूमिका 

से कांग्रेस मजबूत नहीं हुई।

बाकी बचा ‘‘काम’’ उनके पुत्र राहुल गांधी बखूबी पूरा कर देंगे,ऐसे संकेत मिल रहे हैं।राहुल ने कांग्रेस पार्टी को अतिवादी मुस्लिम संगठनों का पिछलग्गू बना दिया है।

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पूर्व केंद्रीय मंत्री मणिशंकर अय्यर ने कल कहा कि कमजोर शैक्षणिक रिकाॅर्ड को लेकर मेरी टिप्पणी  की चर्चा तो भाजपा कर रही है,पर मैंने उसी इंटरव्यू में यह भी कहा था कि राजीव गांधी उत्कृष्ट प्रधान मंत्री थे,उसकी चर्चा नहीं हो रही।

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दरअसल राजीव गांधी दो बार फेल कर गए,इसका तो कागजी सबूत मिल जाएगा।पर अय्यर की इस बात का कोई सबूत उपलब्ध नहीं है कि राजीव गांधी उत्कृष्ट प्रधान मंत्री थे।

  बल्कि उससे उलट वे पूर्णतः विफल प्रधान मंत्री रहे।

हां,लंबे समय तक शासन करने वाला कोई विफल नेता भी कुछ अच्छे काम तो कर ही जाता है।राजीव ने भी कुछ अच्छे काम किए।किंतु उनके बुरे काम इतने अधिक थे कि उसका खामियाजा देश व कांग्रेस को भुगतना पड़ रहा है।

अपने शासन काल में राजीव गांधी ने ऐसे -ऐसे काम किए कि सन 1989 के लोक सभा चुनाव और उसके बाद भी कांग्रेस को लोक सभा में बहुमत मिलना बंद हो गया।आगे मिलेगा,इसकी भी कोई उम्मीद नजर नहीं आ रही है।

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1990 में मंडल आरक्षण का विरोध करने का गुरु मंत्र तो मणि शंकर ने ही राजीव गांधी को दिया था।उससे भी कांग्रेस डूबी।

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1990 में मंडल आरक्षण आया था।

राजीव गांधी ने मणि शंकर अय्यर से कहा कि कांग्रेस कार्य समिति में पेश करने के लिए एक प्रस्ताव तैयार कर दीजिए।

 ‘इंडिया टूडे’( 30 सितंबर 1990) के अनुसार लोक सभा में प्रतिपक्ष के नेता राजीव गांधी के लिए तैयार अय्यर के मूल प्रस्ताव में आरक्षण का पूर्ण विरोध था।(याद रहे कि जवाहरलाल नेहरू और इंदिरा गांधी भी पिछड़ा आरक्षण के सख्त विरोधी थे।)

कार्य समिति की बैठक में सीताराम केसरी तथा कुछ दक्षिण भारतीय नेताओं के विरोध के बाद अय्यर द्वारा तैयार उस प्रस्ताव में संशोधन करके बीच -बीच का रास्ता निकाला गया।

फिर भी इस देश के पिछड़ों को लगा कि कांग्रेस अब भी नेहरू की राह पर हैं जो आरक्षण के कट्टर विरोधी थे।

लोक सभा में राजीव गांधी ने मंडल आरक्षण पर जो लंबा भाषण दिया,उससे तो यह साफ हो गया कि कांग्रेस पिछड़ा विरोधी है।

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कांग्रेस को कमजोर करने में जाने-अनजाने अय्यर का भी हाथ रहा।

  मणिशंकर अय्यर ने विवाद भड़काने वाला बयान 

देते हुए जनवरी 2014 में कहा था 

कि ‘‘नरेंद्र मोदी कभी देश के प्रधान मंत्री नहीं बन पाएंगे।

वह अगर चाहें तो कांग्रेस उनके लिए चाय बांटने की जगह मुहैया करा सकती है।’’

   (17 जनवरी 2014)

जब मोदी प्रधान मंत्री बन गये तो  

सन 2015 में पाकिस्तान जाकर वहां के एक टी.वी.चैनल पर बोलते हुए मणि शंकर ने पाकिस्तानियों से अपील की कि ‘‘पहले आप लोग मोदी को हटाइए।’’(इस अपील में अय्यर के अनुसार यह बात छिपी थी कि भारत के मुसलमान, पाक के कहने पर वोट देते हैं।)

राजीव गांधी के शासन काल में बोफोर्स तोप सौदा घोटाला तथा एक -एक कर अन्य घोटाले सामने आने लगे।

सर्वाधिक चर्चा बोफोर्स की हुई।

क्योंकि उसके दलालों में एक क्वात्रोचि इटली का था।

उसकी प्रधान मंत्री  आवास में 

किसी सुरक्षा जांच के बिना सीधी पहुंच थी। 

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1989 के भागलपुर सांप्रदायिक दंगे के समय वहां के विवादास्पद एस.पी.का तबादला प्रधान मंत्री राजीव गांधी ने रोक देने का आदेश दे दिया ,मुख्य मंत्री से पूछे बिना।(तब के मुख्य मंत्री सत्यंेद्र नारायण सिंह ने बाद में मुझे यह बात बताई थी।) 

तबादला रुकने से पहले हुए दंगे में करीब 100 मुस्लिम मारे गये थे।पलिसं की संलिप्तता की खबर पाकर  मुख्य मंत्री ने एस.पी.का तबादला कर दिया था।

तबादला रुकने के बाद और बहुत अधिक हत्याएं हुईं।करीब नौ सौ और।

नतीजतन कांग्रेस का मुस्लिम वोट बैंक 1989 के चुनाव में पूरे देश में उससे अलग हो गया।

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शाहबानो मामले में प्रधान मंत्री राजीव गांधी ने मुस्लिम कानून को संविधान से ऊपर रखते हुए शरीअत के अनुसार भारतीय संविधान में संशोधन करवा दिया।

भाजपा के ताकतवर होने का वह भी एक कारण रहा।(याद रहे कि दुनिया के किसी सेक्युलर देश में मुस्लिम कानून वहां के संविधान -कानून से ऊपर नहीं है।)

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प्रधान मंत्री बनने से पहले राजीव.

कांग्रेस महासचिव थे।उस रूप में उन्होंने देश के तब के तीन विवादास्पद मुख्य मंत्रियों को

उनके पदों से हटवा दिया था।इसे राजीव की छवि बहुतर हुई।उन्हें मिस्टर क्लीन कहा गया।

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 प्रधान मंत्री बनने के बाद राजीव गांधी ने सार्वजनिक रूप से दो  महत्वपूर्ण बातें कह दीं।

उन बातों से भी लोगों को लगा कि वह इंदिरा गांधी की एक खास कमी को भी पूरा कर देंगे।

पी.एम. राजीव गांधी ने ‘‘सत्ता के दलालों’’ के खिलाफ जोरदार आवाज उठा दी।

उन्होंने एक अन्य अवसर पर यह भी कह दिया कि केंद्र सरकार दिल्ली से 100 पैसे भेजती है,किंतु गंाव तक उसमें से सिर्फ 15 पैसे ही पहुंच पाते हैं।

  इन बातों से अनेक लोगों में यह धारणा बनी कि प्रधान मंत्री राजीव गांधी भ्रष्टाचार के खिलाफ निर्णायक कदम उठाएंगे।

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पर,अंततः ऐसा नहीं हो सका।

कई कारणों से प्रधान मंत्री के रूप में उनके कदम डगमगाने लगे।

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..बोफोर्स तोप सौदा घोटाला तथा एक -एक कर अन्य घोटाले सामने आने लगे।

सर्वाधिक चर्चा बोफोर्स घोटाले की हुई ।क्योंकि उसके दलालों में से एक क्वात्रोचि इटली का था।

उसकी प्रधान मंत्री के आवास में 

किसी सुरक्षा जांच के बिना सीधी पहुंच थी। 

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. और अंत में

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‘‘प्रधान मंत्री राजीव गांधी पहले व्यक्ति थे जिन्होंने बाबरी मस्जिद स्थित राम जन्मभूमि का ताला 1985 में खोलवा दिया था।

इसलिए राम मंदिर निर्माण का श्रेय किसी और को नहीं लेना चाहिए।’’

--  कमलनाथ, पूर्व मुख्य मंत्री, मध्य प्रदेश,

--टाइम्स नाऊ डिजिटल,

   6 अगस्त, 20

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‘‘ताला खोलवाने में राजीव गांधी का कोई हाथ नहीं था।

राजीव गांधी को तो ताला खोले जाने की जानकारी भी नहीं थी।

दरअसल ताला खोल देने के एक स्थानीय अदालत के निर्णय

के आधे घंटे के भीतर ही छल कपट के तहत हाथ की सफाई दिखाते हुए कुछ लोगों ने ताला खोल दिया।’’

    ----- मणि शंकर अय्यर,

          , द हिन्दू- 6 अगस्त 20

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 कमलनाथ का बयान हिन्दुओं को खुश करने लिए था। अय्यर का बयान मुसलमानों को खुश करने के लिए।

राहुल गांधी ने यह द्विविधा खत्म कर दी है।अब कांग्रेस सिर्फ वहीं चुनाव जीत पा रही है जहां मुसलमान वोटर निर्णायक स्थिति में हैं।

इस देश के 90 प्रतिशत मुसलमानों के वोट एक खास अतिवादी संगठन इन दिनों कंट्रोल कर रहा है।उन्हीें लोगों ने वायनाड लोस क्षेत्र में बारी -बारीे से भाई-बहन को जितवाया। 

ए.के. एंटोनी ने कई बार कहा है कि कांगे्रस इसलिए हार रही है क्योंकि उसने यह दिखा दिया है कि वह मुसलमानों की ओर कुछ अधिक ही झुकी हुई है।

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8 मार्च ,  25


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