सोमवार, 24 मार्च 2025

 वक्फ संशोधन विधेयक विरोधी अभियान 

की खतरनाक मंशा

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 ‘‘हम किसी की भी जमीन हड़प लेंगे ,पर उस पर 

अपने हक के सबूत का कोई कागज नहीं दिखाएंगे !’’

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     सुरेंद्र किशोर

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हाल ही में मशहूर मुस्लिम नेता व सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने सार्वजनिक रूप से कहा कि 

‘‘उत्तर प्रदेश में एक लाख 21 हजार वक्फ की संपत्तियां हैं।पर,उनमें से एक लाख 12 हजार संपत्तियों का वक्फ बोर्ड के पास कोई कागजी सबूत नहीं है।’’

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दूसरी ओर, उत्तर प्रदेश सरकार ने इस संबंध में कहा है कि ‘‘जिस वक्फ जमीन का मालिकाना हक सन 1952 के राजस्व रिकाॅर्ड में दर्ज है,उसी को वक्फ की संपत्ति माना जाएगा।’’

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पर,जमीयत उलेमा हिन्द कहता है कि मनमोहन सिंह सरकार ने वक्फ बोर्ड को जो ताकत दी है,उसके अनुसार ही हम मालिकाना हक मानते हैं न कि किसी राजस्व रिकाॅर्ड को मानते हैं।

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सन 2013 में मनमोहन सरकार ने जो वक्फ कानून बनाया, उसकी धारा-40 के अनुसार वक्फ को यह शक्ति दे दी गयी है कि यदि वक्फ को ‘‘लगता है’’ कि कोई संपत्ति वक्फ की संपत्ति है तो वक्फ संबंधित जिला पदाधिकारी को उसे खाली कराने का आदेश दे सकता है । उसका यह आदेश डी.एम.को मानना ही होगा।इस आदेश के खिलाफ यह (मन मोहन सरकार का )कानून किसी को हाई कोर्ट में अपील करने की अनुमति नहीं देता।

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ऐसे ही असंवैधानिक,गैर कानूनी ,अन्यायपूर्ण और अतार्किक प्रावधानों को समाप्त करने के लिए मोदी सरकार ने वक्फ संशोधन विधेयक, 2024 लाया है।

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अन्याय के नमूने

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कर्नाटका के विजयपुरा जिले के किसानों के एक वर्ग ने यह आरोप लगाया कि उनकी जमीन को वक्फ संपत्ति के रूप में चिन्हित किया गया है।बेदखली की नौबत आ रही है।

मुख्य मंत्री सिद्दरमैया ने 29 अक्तूबर 24 को कहा कि विजयपुरा के किसी किसान को बेदखल नहीं किया जाएगा।

याद रहे कि कर्नाटका के मुख्य मंत्री कांग्रेसी हैं।

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ऐसे अन्याय के नमूने केरल,बिहार और तमिलनाडु सहित देश भर से आ रहे हैं।

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यह सब जानते हुए भी इस देश के जो तथाकथित सेक्युलर राजनीतिक दल मुस्लिम वोट के लोभ में मोदी सरकार की ओर से पेश वक्फ संशोधन विधेयक, 2024 का विरोध कर रहे हैं,वे देश को आखिर कहां ले जाना चाहते हैं ?

मध्य युग में लौटाना चाहते हैं ?

यदि मध्य युग आ जाएगा तो इन राजनीतिक दलों का खुद का अस्तित्व भी मिट जाएगा,इस बात की कल्पना भी वे नहीं कर पा रहे हैं।क्योंकि वे स्वार्थ में अंधे होकर अपने वंशजों के भविष्य की भी ंिचंता नहीं कर रहे हैं।वे यह भी नहीं देख पा रहे हैं कि आज पाकिस्तान और बांग्ला देश में क्या-क्या हो रहा है !  

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भारत के मुस्लिम संगठन चाहते हंै कि नीतीश सरकार और नायडु सरकार भी उनके वक्फ संशोधन विरोधी अभियान का समर्थन करंे।

 लेकिन नीतीश-नायडु को यह मंजूर नहीं।

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यदि बिहार और आंध्र सरकार के मुखिया इस मध्ययुगीन मानसिकता वाले लोगों की मांग का समर्थन करेंगे तो 

इन राज्यों के गांवों के दबंग लोग किसी की भी जमीन पर कब्जा कर सकते हैं।

  वे कह सकते हैं कि हम इस जमीन पर कब्जे का कोई सबूत नहीं दिखाएंगे।

 इन राज्य सरकारों से वे दबंग यह भी कहेंगे कि जब आप वक्फ बोर्ड की गैर कानूनी-गैर संवैधानिक -गैर तार्किक मांग का समर्थन कर सकते हैं तो हमारे दावे का भी समर्थन आपको करना पड़ेगा।क्योंकि कानून के सामने समानता के हमारे अधिकार की रक्षा होनी ही चाहिए।

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24 मार्च 25 

 


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