दिनमान और इंडिया टूडे
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साठ-सत्तर के दशकांे की सर्वश्रेष्ठ हिन्दी साप्ताहिक पत्रिका का नाम है-‘दिनमान।’
टाइम्स आॅफ इंडिया प्रकाशन समूह उसका प्रकाशक था।
आज के समय की श्रेष्ठ हिन्दी साप्ताहिक पत्रिका ‘इंडिया टूडे’ है।
किंतु जो बात दिनमान में थी,
वह इंडिया टूडे में नहीं।
तब आप महीने भर के दिनमान को पढ़कर जान सकते थे कि
देश-प्रदेश-विदेश में क्या-क्या प्रमुख घटित हुआ।
दिनमान मुख्यतः राजनीतिक पत्रिका थी।
पर,उसमें साहित्य,विज्ञान,चिकित्सा,धर्म दर्शन, फिल्म,रंगमच व खेल आदि से संबंधित महत्वपूर्ण जानकारियां रहती थीं।
भाषा-शैली भी अनोखी और शालीन।
उसे पढ़ने से व्यक्तित्व का विकास होता था।
मेरी जानकारी के अनुसार दिनमान पर अब तक दो शोध कत्र्ताओं को पीएच.डी.की उपाधि मिल चुकी है।
इंडिया टूडे के पास पर्याप्त साधन है।
खर्च करने के लिए दिनमान से अधिक।
यदि ‘इंडिया टूडे’ का प्रबंधन चाहे तो अपनी इस स्तरीय पत्रिका को ऐसा बना सकता है जिसे महीने भर पढ़कर किसी को भी लगे कि दुनिया के किसी क्षेत्र की किसी प्रमुख जानकारी से वह वंचित नहीं रह गया।
यदि वह ऐसा नहीं करता तो वह हिन्दी भारत के साथ न्याय नहीं कर रहा।
साठ-सत्तर के दशकों में दिनमान ने उस पीढ़ी के साथ न्याय किया।
पर, जब टाइम्स आॅफ इंडिया प्रबंधन के लिए मुनाफा ही सब कुछ हो गया,तो एक- एक कर के उसकी अच्छी- अच्छी हिन्दी पत्रिकाएं बंद कर दी गईं।
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सुरेंद्र किशोर
-1 नवंबर 20
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