आज मैंने सी.एन.बी.सी.आवाज चैनल
पर राजनीतिक चर्चा सुनी।
कांग्रेस की दशा-दिशा पर बहस थी।
उसके तथ्य या कथ्य पर तो मुझे कुछ नहीं कहना।
पर, डिबेट को संचालित करने की एंकर वाजपेयी जी की शैली मुझे अच्छी लगी।
अतिथियों की बातें मैं सुन सका।
समझ सका कि देश के शीर्ष चिंतक-विश्लेषक कांग्रेस के बारे में क्या राय रखते हैं।
संभव है कि कुछ अन्य चैनल भी सी.एन.बी.सी.की तरह ही दर्शकों के प्रति अपनी जिम्मेदारी सही ढंग से निभा रहे हों।
पर, इसके विपरीत अधिकतर चैनलों की हालत दयनीय व शर्मनाक है।
वे बड़ी संख्या में बकबादी व बदतमीज अतिथियों को बुलाते हैं ।
ऐसा ‘कुत्ता भुकाओ कार्यक्रम’ करते हैं कि किसी की बात न कोई सुन सकता है और न समझ सकता है।
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--सुरेंद्र किशोर--18 नवंबर 20
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