संकट की घड़ी में फ्रांस का प्रतिपक्ष
वहां की मैक्रों सरकार के पूरी तरह साथ
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काश ! हमारे देश का प्रतिपक्ष भी वैसा ही होता !
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सुरेंद्र किशोर
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अपने देश के राष्ट्रपति इमैनुअल मैक्रों के स्वर में अपना स्वर मिलाते हुए फ्रांस में प्रतिपक्ष की नेता मेरीन ली पेन
ने पाकिस्तान और बंगला देश के आप्रवासियों के फ्रांस मंे प्रवेश पर प्रतिबंध लगा देने की अपनी सरकार से मांग की है।
याद रहे कि हाल में पाक और बंगलादेश में हुए फ्रांस विरोधी प्रदर्शनों में मैक्रों को सजा देने की मांग की गई।
उस देश के उत्पादों के बहिष्कार का निर्णय किया गया।
साथ ही, यह भी मांग की गई कि फ्रांस से राजनयिक संबंध तोड़ लिया जाए।
सिर्फ फ्रंास ही नहीं, दुनिया के जिस किसी देश में भी ऐसा संकट आता है तो पक्ष-विपक्ष एक स्वर में बोलने लगते हैं।
भारत में भी जब विपक्ष में जिम्मेदार-समझदार-देशभक्त नेता हुआ करते थे तो ऐसा ही होता था।
पर आज ?!!!
ऐसे संकट के समय में तो हमारे यहां के अधिकतर प्रतिपक्षी नेता हमारे दुश्मन देश के स्वर में स्वर मिलाने लगते हैं।
ऐसे ही गुणों के कारण तो फ्रांस राफेल बनाता है और हम उसे खरीदने के लिए लालायित रहते हैं !
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फ्रांस में वाणी की स्वतंत्रता के नाम पर मुहम्मद साहब के कार्टून या चित्र प्रदर्शित करने का मैं खिलाफ हूं।
किसी की भावना से खिलवाड़ शांति के हक में नहीं है।
हां,यदि फ्रांस में रह रहे जो आप्रवासी या शरणार्थी फं्रास के कानून का पालन करने को तैयार नहीं हैं तो उन्हें तत्काल उनके उस देश में पहुंचा देना चाहिए जहां से वे आए हैं।
भारत सहित दुनिया के अन्य देशों को भी कानून तोड़क शरणाथियों-घुसपैठियों के साथ ऐसा ही रुख अपनाने का पूरा अधिकर है।
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--सुरेंद्र किशोर-2 नवंबर 20
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