सोमवार, 2 नवंबर 2020

    जनसरोकार के पत्रकार हरिवंश

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राज्य सभा के उप सभापति हरिवंश जी ने 2009 में ही यह कह दिया था कि 

‘‘ मैं असंतुष्ट,निराश बेचैन रहनेवाला आदमी हूं।

रिटायर होकर चैन से नहीं रह सकता।

मैं बहुत साफ-साफ,दो टूक बात करता हूं।

पत्रकारिता मेरे लिए नैतिक कर्म है।

और मुझे संतोष है कि नैतिक पत्रकारिता करने की मैंने कोशिश की।

अनेक भूलें हुईं हैं।

गलतियां हुईं हैं।

पर एक भी ऐसा काम नहीं किया,जिसके लिए पश्चात्ताप हुआ हो या कोई उंगली उठा सके।’’

    सिताब दियारा की गंवई पृष्ठभूमि से निकल कर पत्रकारिता के शीर्ष से गुजरते हुए हरिवंश जी आज एक अत्यंत सम्मानजनक जगह पर हैं।

  यह सब इस बात के बावजूद हुआ है कि वे किसी राजनीतिक पारिवारिक पृष्ठभूमि से नहीं आते।

   सुपठित और प्रभावशाली वक्ता हरिवंश जी की जब डा.आर.के.नीरद लिखित जीवनी आई तो मुझे लगा कि इसकी हम थोड़ी चर्चा कर लें।

  कोई व्यक्ति दियारे के एक गांव से निकल कर दिल्ली

में राज्य सभा के उप सभापति पद तक पहुंचता है तो कई निरपेक्ष लोग उसके बारे में यह जानना चाहेंगे कि यह सब कैसे संभव हुआ ?

 यानी, इस अर्थ युग में ऐसा भी संभव है।

  देश के मशहूर प्रकाशक प्रभात प्रकाशन ने ‘‘जन सरोकार के पत्रकार हरिवंश’’ नाम से उनकी जीवनी छापी हैं।

जाहिर है कि उसमें उनके योगदान व उपलब्धियों का विस्तृत विवरण है। 

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--सुरेंद्र किशोर-1 नवंबर 20

  


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