गुरुवार, 4 मार्च 2021

   1975-77 का आपातकाल

 मीडिया के लिए बुरे दिन !

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25 जून, 1975 की रात में इमर्जेंसी लगाने के बाद भारत सरकार के प्रेस इन्फाॅर्मेशन ब्यूरो से अखबारों को निरंतर आदेश -निदेश दिए जाते रहे।

दिए गए कुछ निदेशों का विवरण यहां प्रस्तुत है।

सरकार की ओर से अखबारों को यह निदेश दे दिया गया 

 कि वे जयप्रकाश नारायण का फोटोग्राफ नहीं छापें।

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26 जून,1975

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समाचार एजेंसियों के टेलीप्रिंटरों से सभी नेताओं की गिरफ्तारी 

के समाचार हटा दिए जाएं।

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5 जुलाई 1975

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आनंद मार्ग के बारे में अदालती केस की रिपोर्ट नहीं छापें।

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19 अगस्त 1975

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गुजरात में राष्ट्रपति शासन हटाने और कांग्रेस सरकार के गठन से संबंधित समाचार/टिप्पणी नहीं छापें।

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15 सितंबर 1975

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कुलदीप नैय्यर की याचिका पर दिल्ली हाईकोर्ट का निर्णय नहीं छापें।

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(जारी)

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(लेखक-पत्रकार बलबीर दत्त लिखित

‘‘इमरजेंसी का कहर और सेंसर का जहर’’ 

पुस्तक से साभार।)

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राहुल गांधी की हाल की एक टिप्पणी के संदर्भ में 1975 के उपर्युक्त निदेशों को देखिए।

क्या लोकतंत्र के चैथे स्तम्भ यानी मीडिया के साथ आज की सरकार वैसा ही सलूक कर रही है ?

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इमर्जेंसी में लोकतंत्र के विभिन्न स्तम्भों के साथ इंदिरा सरकार ने कैसा सलूक किया था,उसके कई नमूने विभिन्न पुस्तकों में पहले ही आ चुके हैं।

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--सुरेंद्र किशोर-

    4 मार्च, 21

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