शुक्रवार, 19 मार्च 2021

 क्या 2021 की ममता बनर्जी को कभी सन् 

2005 की ममता बनर्जी की याद आती है ?!!

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उन्हें तो नहीं आती,

किंतु संकेत हैं कि मतदाता उन्हें 

इस बार याद दिला दंेगे !

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--सुरेंद्र किशोर--

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4 अगस्त, 2005 को ममता बनर्जी ने लोक सभा के स्पीकर के 

टेबल पर कागज का 

पुलिंदा फेंका।

उसमें अवैध बंगला

देशी घुसपैठियों को मतदाता बनाए जाने के सबूत थे।

उनके नाम गैरकानूनी तरीके से मतदाता सूची में 

शामिल करा दिए गए थे।

ममता ने कहा कि घुसपैठ की समस्या राज्य में महा विपत्ति बन चुकी है।

इन घुसपैठियों के वोट का लाभ वाम मोर्चा उठा रहा है।

उन्होंने  उस पर सदन में चर्चा की मांग की।

चर्चा की अनुमति न मिलने पर ममता ने सदन की सदस्यता

 से इस्तीफा भी दे दिया था।

 चूंकि एक प्रारूप में विधिवत तरीके से इस्तीफा तैयार नहीं था,

इसलिए उसे मंजूर नहीं किया गया।

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दृश्य -2

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जब घुसपैठियों के वोट ममता 

बनर्जी को मिलने लगे तो कल की 

महा विपत्ति उनके लिए

महा संपत्ति बन गई।

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3 मार्च 2020

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पश्चिम बंगाल की मुख्य मंत्री ममता बनर्जी ने कहा कि 

जो भी बंगला देश से यहां आए हैं,बंगाल में रह रहे हैं ,

चुनाव में वोट देते रहे हैं, वे सभी भारतीय नागरिक हैं।

इससे पहले सीएए,एनपीआर और एन आर सी के विरोध में 

ममता ने कहा कि इसे लागू करने पर गृह युद्ध हो जाएगा । 

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दृश्य-3

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मतदाताओं का बदला रुख देखकर ममता बनर्जी कहने लगी हैं कि 

मेरी गिरफ्तारी हो सकती है।(-द हिन्दू-22 फरवरी 21)

मेरी हत्या कराई जा सकती है।

चुनाव में धांधली कराई जाएगी।

आदि आदि........

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किसी नेता के ऐसे बयान तभी आते हैं जब पराजय की आशंका हो।

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वैसे मैं पक्के तौर पर यह नहीं जानता कि पश्चिम बंगाल विधान सभा चुनाव में कौन जीतेगा और कौन हारेगा।

पर लगता है कि मतदताओं का एक बड़ा हिस्सा चाहता है कि ममता दीदी घुसपैठियों के बारे में 2005 में जो कुछ चाहती थीं,उनकी वही इच्छा अब पूरी हो जाए।

  क्योंकि यदि उनकी आज की इच्छा पूरी हुई तो बंगाल के एक और कश्मीर बन जाने का खतरा सामने है !

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-19 मार्च 21


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