सोमवार, 22 मार्च 2021

 जैसा बोओगे,वैसा ही तो काटोगे !!!

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--सुरेंद्र किशोर--

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2 अप्रैल 1975

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कलकत्ता में जयप्रकाश नारायण पर चप्पल और पत्थरों की वर्षा होती रही।

कुछ हुड़दंगी जेपी की कार के ऊपर चढ़कर

उछल कूद मचाते रहे।

फिर भी बंगाल पुलिस मूक दर्शक बनी रही।

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16 अगस्त, 1990

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वाम मोर्चे के गुंडों ने ममता बनर्जी को इतना मारा कि उनके सिर में 16 टांके लगाने पड़े थे।

उस घटनास्थल पर भी बंगाल पुलिस मूक दर्शक बनी रही।

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2018-पंचायत चुनाव

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पश्चिम बंगाल में ग्राम पंचायतों के कुल 58,692 पदों में से 20,159 पदों के चुनाव के लिए किसी भी प्रतिद्वंद्वी उम्मीदवार को नामांकन पत्र भरने नहीं दिया गया।

तब बंगाल पुलिस ने लोकतांत्रिक प्रक्रिया से ‘वंंिचत’ हो रहे उन उम्मीदवारों की कोई मदद नहीं की।

मूक दर्शक बनी रही।

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10 दिसंबर 2020

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भाजपा अध्यक्ष जे.पी नड्डा पर बंगाल में तृणमूल के बाहुबली हमलावर  करते रहे और बंगाल पुलिस मूक दर्शक बनी रही।

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बंगाल पुलिस के ऐसे ही ‘रिकार्ड’ को देखते हुए चुनाव आयोग ने निदेश दिया है कि मौजूदा विधान सभा चुनाव के दौरान बंगाल पुलिस कर्मी मतदान केंद्रों के सौ मीटर के दायरे में प्रवेश नहीं करेंगे।

इस निदेश पर तृणमूल कांग्रेस परेशान है।

परेशान होने से क्या होगा ?

विधान सभा चुनाव, पंचायत चुनाव तो है नहीं।

‘‘जैसा बोओगे, वैसा ही तो काटोगे !!!’’

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21 मार्च, 21


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