संक्षिप्त मुलाकात एक बहुत बड़े प्रकाशक से
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प्रभात प्रकाशन के कर्ता-धर्ता पीयूष कुमार जी जब
हमारे घर के आसपास की हरियाली देखकर प्रसन्न
हो रहे थे तभी मेरे पुत्र ने उनकी तस्वीर खींच ली।
प्रभात प्रकाशन किसी परिचय का मोहताज नहीं है।
दशकों पहले मैं दिल्ली में उनके आॅफिस में गया था जहां तब पीयूष जी के पिताश्री प्रकाशन संभालते थे।
योग्य पिता के योग्य पुत्र पीयूष जी से बातचीत से एक बार फिर यह लगा कि सफल व्यक्ति के लिए उसकी विनम्रता मूल मंत्र है।
विनम्रता सामने वाले को प्रभावित करती है।
पीयूष जी मुझे यह कह कर गए कि जिसके पास इतनी समृद्ध लाइब्रेरी है,उसे इधर-उधर झांकने की जरूरत ही नहीं होती।
इस तरह वे पुस्तकों,पत्रिकाओं और संदर्भ सामग्री की अमूल्यता की ओर इंगित कर रहे थे।
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-- सुरेंद्र किशोर -
17 मार्च 21
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--सुरेंद्र किशोर
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