सोमवार, 15 मार्च 2021

 एक पोस्ट जरा हट के !!

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आचार्य प्रसन्न सागरजी महाराज कहते हैं कि 

‘‘जीवन जीने के दो ही तरीके है-एक तो सोचो 

मेरा कोई अपना नहीं है।

या फिर सोचो सब अपने हैं।’’

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दुःख सबके जीवन में आता है।

सुख के पल हवा की तरह हैं।

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जीवन में दुःख के लिए सबको तैयार रहना चाहिए।

  दुनिया का सबसे बड़ा दुःख है बूढ़े मां-बाप के सामने जवान पुत्र का गुजर जाना।

लेकिन इससे भी बड़ा दुःख है पुत्र का कुपुत्र हो जाना।

 मां-बाप के जीवन में दो बार ही आंसू आते हैं।

एक जब बेटी विदा होती है।

दूसरा जब बेटा मुंह मोड़े तब।

 इन चार बातों के लिए मानव को सदा तैयार रहना चाहिए--

1.-दोस्त कभी धोखा दे सकता है।

2.-बेटा कभी भी मुंह मोड़ सकता है।

3.-किस्मत कभी भी रूठ सकती है।

4.-दुनिया कभी भी छूट सकती है।

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--सुरेंद्र किशोर-13 मार्च 21


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