सरकार मोबाइल जैमर और बुलेटप्रूफ
जैकेट की खरीदारी सी.एस.आर.के पैसों से
मुकेश अंबानी के जरिए कराए
.................................................
---सुरेंद्र किशोर--
............................................
उद्योगपति मुकेश अंबानी को चाहिए कि वह इस देश के जेलों में मोबाइल जैमर मशीन लगवाने का काम अपने हाथ में ले लें।
सरकार इसकी सहमति दे।
इसमें खुद न सिर्फ अंबानी की भलाई है,बल्कि आम जन की भी।
यदि उपलब्ध जैमर मशीन 4 -जी पर काम नहीं कर पा रहा है तो अंबानी कारगर जैमर मशीनों के निर्माण की दिशा में काम करें।
याद रहे कि पुलिस को आशंका है कि हाल में मोबाइल फोन का इस्तेमाल एक टेलीग्राम चैनल बनाने के लिए किया गया।
फिर उस चैनल का इस्तेमाल जैश उल हिंद नामक समूह ने गत 25 फरवरी 2021 को मुकेश अंबानी के दक्षिण मुंबई स्थित घर के बाहर से जिलेटिन की छड़ों से लदी एस यू वी खड़ी करने की जिम्मेदारी लेने के लिए किया।
कहा जा रहा है कि जिम्मेदारी लेने का काम तिहाड़ जेल से हुआ।
इस देश के जेलों में जैमर लगाने की सरकारी कोशिश
अब तक विफल रही है।
कभी शिकायत आई कि मशीन की खरीद में कमीशनखोरी के कारण घटिया जैमर लगे।
कभी यह कि जानबूझ कर जैमर बंद-खराब कर दिए गए।
कारण सब को मालूम है।जैमर के रख रखाव का काम भी अंबानी के अफसर -कर्मचारी करें।
अब जब जेल में बंद आतंकवादी व खंूखार अपराधी देश की अर्थ व्यवस्था नष्ट करने के लिए उद्योगपति को निशाना बना रहे हैं तो उसका उपाय सरकारी अनुमति व सहयोग से खुद उद्यागपति करें।
व्यापारियों को कंपनी सोशल जिम्मेदारी यानी सी.एस.आर. के तहत अपने मुनाफा का 2 प्रतिशत खर्च करने ही हैं।
अंबानी के दो प्रतिशत जैसी बड़ी राशि का अंदाज कर लीजिए।
वे तो देश के सारे जेलों में आधुनिकत्तम मोबाइल जैमर लगवाने के साथ- साथ एक और काम कर सकते हैं।
इस मद से वे सेना- पुलिस के लिए गुणवत्ता वाले बुलेट प्रूफ जैकेट की खरीद भी करवा सकते हैं।
अपने देश के भ्रष्ट सरकारी-गैर सरकारी राक्षस बुलेट प्रूफ की खरीद में भी घोटाला कर देते रहे हैं,ऐसी जानकारियां मिलती रही हंै।
26 नवंबर 2008 को आतंकवादियों ने मुंबई के ताज होटल आदि पर हमला किया।
अन्य लोगों के साथ ए.टी.एस.प्रमुख हेमंत करकरे भी शहीद हो गए।
बाद में पता चला कि जो बुलेटप्रूफ जैकेट हेमंत ने पहन रखा था ,वह घटिया जैकेट बुलेट को नहीं रोक सका था।
यानी, उसकी खरीद में घोटाला था।
......................
--सुरेंद्र किशोर-
14 मार्च 21
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें