डा.राममनोहर लोहिया के जन्म दिन (23 मार्च) पर
....................................
लोहिया के सपने और
आज की हकीकत
...........................................
--सुरेंद्र किशोर--
..........................................
स्वतंत्रता सेनानी और समाजवादी चिंतक डा.राममनोहर लोहिया की कल्पना में आजाद भारत का स्वरूप कैसा था ?
1.- बंबई के मजदूर 12 हजार रुपए चंदा करके लोहिया के इलाज के लिए समय पर दिल्ली नहीं भेज सके।
यह 1967 की बात है।
तब लोहिया लोक सभा के सदस्य थे।
डा.लोहिया जर्मनी में अपने प्रोस्टेट का आॅपरेशन करवाना चाहते थे।
पैसे के अभाव में डा.लोहिया को नई दिल्ली के ही वेलिंगटन अस्पताल में ही आॅपरेशन कराना पड़ा।
सही इलाज नहीं होने के कारण लोहिया की मौत हो गई।
तब बिहार सहित कई राज्यों में लोहिया की पार्टी के नेता सरकार में शामिल थे।
किंतु लोहिया नहीं चाहते थे कि उन राज्यों से चंदा आए।
क्योंकि उससे हमारी सरकार की बदनामी हो सकती है।
सांसद रहने के बावजूद लोहिया के पास निजी कार नहीं थी।
कार न खरीदने व मेंटेन करने के संबंध में लोहिया का तर्क यह था कि ‘‘सांसद के रूप में उतनी आय मेरी नहीं है।’’
...............................
लोहिया की चाह और आज की स्थिति--
स्वतंत्र भारत में महाराष्ट्र सरकार का एक मंत्री चाहता है कि उसके व उसके नेता के लिए वहां की पुलिस हर महीने 100 करोड़ रुपए की उगाही करे।
................................
2.-डा.लोहिया ने अपना कोई परिवार नहीं बसाया।
न ही घर बनाया।
वे चाहते थे कि राजनीतिक जीवन में जो आना चाहते हैं उन्हें अपना परिवार नहीं खड़ा करना चाहिए।
...............................
आज की स्थिति
................................
कल तेलांगना से एक शर्मनाक खबर आई।
उसे पढ़कर एक क्षण लगा कि हम आज भी राजतंत्र में ही जी रहे हैं।
खबर है कि वहां के मुख्य मंत्री चाहते हैं कि वे अपने पुत्र को
उसके अगले जन्म दिन के अवसर पर अपना मुख्य मंत्री पद उपहार के रूप में दे दें।
.................................
3.-डा.लोहिया राजनीति में वंशवाद के सख्त खिलाफ थे।
........................
आज की स्थिति
.........................
भाजपा,जदयू और कम्युनिस्टों दलों जैसे थोड़ से दलों को छोड़कर लगभग सभी राजनीतिक दल बेशर्म ढंग से वंशवादी -परिवारवादी हो चुके हंै।
यानी, परिवार के बिना उन दलों की कल्पना ही नहीं हो सकती।
अपवादों को छोड़कर जो दल वंशवादी -परिवारवादी हैं,उन पर भ्रष्टाचार के भी गंभीर आरोप हैं।
..................................................
4.-डा.लोहिया ने ‘जाति तोड़ो’ का नारा दिया था।
पिछड़ी जातियों के साथ-साथ वे अगली जातियों की महिलाओं को भी पिछड़ा ही मानते थे।
उनके लिए भी वे विशेष अवसर की जरूरत बताते थे।
डा.लोहिया के लगभग सारे निजी सचिव ब्राह्मण ही थे।
यानी, ऊंची जाति में उनके प्रति द्वेष नहीं था,सिर्फ नेहरू भक्तों को छोड़कर।
...............................................
आज क्या हो रहा है ?
देश भर में वोट के मुख्य आधार जातीय व सांप्रदायिक हैं।
...............................
5-लोहिया सांप्रदायिक मामलों में संतुलित विचार रखते थे।
दोनों समुदायों के बीच के अतिवादियों के वे खिलाफ थे।
डा.लोहिया समान नागरिक कानून के पक्षधर थे।
तब अटल बिहारी वाजपेयी कहा करते थे कि मुझे लोहियावादी मुसलमानों से मिलकर-बातकर करके बहुत खुशी होती है।
..........................................
पर आज क्या हो रहा है ?
आज लोहिया के नाम पर राजनीति करने वाले अधिकतर दल व लगभग सारे तथाकथित सेक्युलर दल व बुद्धिजीवीगण संघ परिवार की तो बात-बात में आलोचना करते हैं, किंतु दूसरी ओर वे उन अतिवादी मुस्लिम संगठनों को भी भरपूर बढ़ावा-समर्थन देते हैं,उनसे राजनीतिक तालमेल करते हैं जो सरेआम यह घोषणा करते हैं कि हम इस देश में हथियारों के बल पर इस्लामिक शासन कायम करना चाहते हैं।
..............................................
आदि आदि .............
......................................
--23 मार्च 21
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें