इंदिरा गांधी की नाक की पट्टी तो
मतदाताओं की सहानुभूति नहीं हासिल
कर सकी थी।
अब देखना है ममता बनर्जी के पैर की
पट्टी का करिश्मा !!
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--सुरेंद्र किशोर--
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सन 1967 के चुनाव प्रचार के दौरान तत्कालीन प्रधान मंत्री
इंदिरा गांधी भुवनेश्वर में सभा को संबोधित कर रही थीं।
उनके भाषण के तुरंत बाद छात्रों की उग्र भीड़ ने पथराव शुरू कर दिया।
एक पत्थर इंदिरा गांधी को लगा।
जिससे उनकी नाक की हड्डी में चोट आई।
उन्हें एक छोटा आपरेशन भी कराना पड़ा।
(चित्र में नाक पर पट्टी दिखाई पड़ रही है)
इस घटना के बाद सत्ताधारी हलकों में तब यह उम्मीद
की गई थी कि कांग्रेस को सहानुभूति वोट मिलेंगे।
पर नहीं मिले।
क्योंकि अन्य कारणों से देश के बड़े हिस्से में कांग्रेस सरकार के खिलाफ आम लोगों में असंतोष था।
1967 का आम चुनाव हुआ।
न सिर्फ ओडिशा में कांग्रेस सत्ता से बाहर हो गई,बल्कि आसपास के राज्य बिहार व पश्चिम बंगाल में भी कांग्रेस सरकार हार गई।
कुल सात राज्यों में उस चुनाव के जरिए और बाद में दो अन्य राज्यों में दल बदल के जरिए कांग्रेस की सत्ता जाती रही।
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मौजूदा चुनाव प्रचार के दौरान ममता बनर्जी को भी चोट लगी है।
कांग्रेस नेता अधीर रंजन चैधरी ने कहा है कि ममता बनर्जी साजिश के जरिए सहानुभूति बटोरना चाहती हैं।
हालांकि ममता जी ने कहा है कि उन पर हमला हुआ था।
पता नही, सच क्या है !
इंदिरा जी पर तो सचमुच हमला हुआ था।
फिर भी उनकी नाक की पट्टी उन्हें वोट नहीं दिला पाई।
देखना है कि ममता बनर्जी के पैर की पट्टी क्या रंग
दिखाती है !
वैसे आम लोग तो किन्हीं ‘पट्टियों’ से पहले ही अपना मन बना चुके होते हैं।
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--11 मार्च 21
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