गुरुवार, 30 नवंबर 2023

 


सन 1951 में एक फिल्म आई थी जिसका नाम था -बहार।

उसका एक गाना है--

‘‘दुनिया से डरोगे तो दुनिया दबाएगी।

आखें दिखाएगी,रोब दिखाएगी।

दुनिया को लात मारो,दुनिया सलाम करे।

तान से सीना चलो, दुनिया तुम्हारी है

..............।’’

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 पूर्व मुख्य मंत्री महबूबा मुफ्ती ने 3 अप्रैल, 2019 को कहा था कि ‘‘अनुच्छेद-370 हटा तो हिन्दुस्तान से हमारा रिश्ता समाप्त हो जाएगा।’’

अमित शाह को चुनौती के साथ महबूबा ने कहा था--‘‘आप  अनुच्छेद-370 को समाप्त करने की तारीख बताइए।उसी दिन से हमारा हिन्दुस्तान से रिश्ता खत्म हो जाएगा।’’

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मोदी सरकार ने सीना तान कर यह काम कर दिया।

क्या हुआ महबूबा की धमकी का ?

रिश्ता मजबूत हुआ या समाप्त ?

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16 दिसंबर, 2019 को मुख्य मंत्री ममता बनर्जी ने कहा था कि 

सी.ए.ए. मेरी लाश पर ही लागू होगा।

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गृह मंत्री अमित शाह ने हाल में भी कहा कि हम सी.ए.ए.जरूर लागू करेंगे।

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देखना है--आगे -आगे क्या होता है !!!

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महबूबा और ममता बनर्जी जैसी धमकियां देने वाले इस देश में कुछ अन्य नेता भी अन्य राज्यों में मौजूद हैं।

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देखना है- निकट भविष्य में उनका क्या होने वाला है !!

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अभी मोदी सरकार की जिम्मेदारी यह है कि वह यू.सी.सी.लागू करे।

सी.ए.ए. लागू करे।

एन.आर.सी.को भी लागू करना ही होगा।

अन्यथा, यह देश देर-सबेर जेहादियों के हाथों में चला जाएगा।

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पर,इसके लिए आर्थिक और सैनिक रूप से चीन की तरह ही हमें भी ताकतवर बनना पड़ेगा।

चीन अपने यहां के जेहादियों के साथ ऐसा अमानवीय व्यवहार कर रहा है जैसा अब तक नहीं हुआ।फिर भी दुनिया के जेहादी चीन से डर कर चुप है।

(बहार का गाना याद कर लीजिए।)

यह देश आर्थिक रूप से ताकतवर तभी बनेगा जब हर क्षेत्र में सक्रिय चोरों, बेईमानों,लुटेरों को जेल भेजा जाएगा।

भ्रष्टाचार के लिए फांसी का प्रावधान करना पड़ेगा।

चीन में यह कानून मौजूद है।

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1985 में जब प्रधान मंत्री राजीव गांधी ने कहा कि हम दिल्ली से

100 पैसे भेजते हैं,किंतु सिर्फ 15 पैसे ही लोगों तक पहुंचते हैं।

इस रहस्योद्घाटन के बाद ही भ्रष्टाचार के लिए फांसी का प्रावधान कर देना चाहिए था।

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चीन अपनी सीमा पर ही घुसपैठियों को देखते ही गोली मार देता है।

दूसरी ओर हमारे यहां सीमा पर बांग्ला देशी-रोहिग्या घुसपैठियों से 10-12 हजार रुपए घूस लेकर उन्हें भारत का नागरिक बना दिया जाता है।एक खबर के अनुसार,रोज करीब पांच घुसपैठिए भारत में घुस रहे हैंे।

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कई साल पहले का आंकड़ा है कि भारत में पांच करोड़ घुसपैठिए हैं।

एन.आर.सी.लागू होने से उन्हें निकाल बाहर करना या उन्हें मतदाता सूची से हटाना संभव होगा।

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मोदी सरकार सुप्रीम कोर्ट में यह कह चुकी है कि  

एन.आर.सी.यानी राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर जरूरी है।

   वैसे सरकार ने जरूर कहा था  कि एनआरसी यानी राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर अभी नहीं बनेगा।

   सुप्रीम कोर्ट में दाखिल अपने शपथ पत्र में गृह मंत्रालय ने कह दिया कि किसी भी सार्वभौम देश के लिए यह एक जरूरी काम है कि वह गैर नागरिकों की पहचान के लिए राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर तैयार करे।

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  एक अनुमान के अनुसार सी.ए.ए. के लागू हो जाने के बाद इस देश में करीब दो या तीन करोड़ गैर -मुस्लिम मतदाताओं की संख्या बढ़ जाएगी।ये वे गैर मुस्लिम हैं जो पड़ोसी देशों में प्रताड़ित होकर भारत में आ गये हैं।पर,अभी तक यहां के नागरिक या मतदाता नहीं बने।इनका सरकारी

आंकड़ा तो कम है,पर वास्तव में ये काफी हैं।

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इस देश के मुस्लिम वोट लोलुप राजनीतिक दल और जेहादी तत्व नहीं चाहते कि सी.ए.ए. और एन.आर.सी.लागू हो।

पश्चिम बंगाल में उन घुसपैठी मतदाताओं का लाभ पहले का सत्ताधारी वाम मोरचा उठाता था।

तब उन फर्जी बंगला देशी मतदाताओं का विरोध करते हुए   

  4 अगस्त, 2005 को ममता बनर्जी ने लोक सभा के स्पीकर

के टेबल पर कागज का पुलिंदा फेंका था।

उसमें अवैध बंगलादेशी घुसपैठियों को मतदाता बनाए जाने के सबूत थे।

  ममता ने कहा कि घुसपैठ की समस्या राज्य में महा विपत्ति बन चुकी है।

ममता बनर्जी ने उस पर सदन में चर्चा की मांग की।

चर्चा की अनुमति न मिलने पर ममता ने सदन की सदस्यता

 से इस्तीफा भी दे दिया था।

 चूंकि एक प्रारूप में विधिवत तरीके से इस्तीफा तैयार नहीं  था,इसलिए उसे मंजूर नहीं किया गया।

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अब ममता का उस ‘महा विपत्ति’ पर क्या राय है ?

यदि ममता की सरकार उन्हीं अवैध घुसपैठियों के वोट पर

टिकी हैं तो क्या राय होगी !

अब ममता कहती हैं कि सी.ए.ए.-एन.आर.सी.लागू होगा तो बंगाल में खून की नदी बहेगी।

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 ऐसे नेताओं की मौजूदगी इस अभागे देश में है।

ऐसे में तो मेरा मानना है कि यदि इस देश को बचाना है तो न सिर्फ सी.ए.ए. बल्कि एन.आर.सी. और समान नागरिक कानून भी लागू करना ही पड़ेगा।

इससे कोई वोटलोलुप नेता या दल खुश रहे या नाराज।

  अमेरिका,चीन ,जर्मनी और जापान कौन कहे,यहां तक 

कि पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बंगला देश में भी

नागरिकता रजिस्टर और नागरिकता कार्ड का 

प्रावधान है।

कार्ड वहां के लोगों को दिए गए हैं।

   कुछ नेताओं के लिए भारत कोई देश नहीं, बल्कि मात्र एक धर्मशाला है।

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किसी भी समुदाय के किसी वाजिब मतदाता की मौजूदा स्थिति में इन कानूनों के लागू होने पर भी कोई फर्क नहीं पड़ेगा।फिर भी इस मुद्दे पर यदाकदा चिल्ल-पों और छिटपुट हिंसा होती रहती है।

 क्योंकि  

सीएए लागू होने व एनआरसी तैयार हो जाने पर इस हिन्दू बहुल देश को धीरे -धीरे मुस्लिम बहुल बनाने का जो जेहादी प्रयास चल रहा है,उस प्रयास को भारी धक्का लगेगा।

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सी.ए.ए.,यू.सी.सी.और एन.आर.सी.लागू होने के बाद जो बवंडर खड़ा होगा,उसे शांत करने के लिए बड़ी सैन्य व पुलिस ताकत की जरूरत पड़ेगी।

भारत सन 2014 के बाद अधिक ताकतवर बना है।ताकत तो पैसे से बढ़ती है।वह बढ़ रही है।

केंद्र सरकार का कर राजस्व 2013-14 में करीब साढ़े 10 लाख करोड़ रुपए था।मौजूदा वित्तीय वर्ष में यानी 2023-24 में 27 लाख करोड़ रुपए का अनुमान है।

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कुछ राज्यों को छोड़कर सेना,अर्ध सैनिक बल,अग्निवीर आदि मजबूत हो रहे है।

आधुनिकत्तम हथियार हमारे देश के पास आ रहे हैं।राज्यों की सुरक्षा -व्यवस्था भी बेहतर है।

पर अभी आंतरिक व बाह्य सुरक्षा के और भी ठोस काम करने होंगे।

जब इस देश के घनघोर भ्रष्टाचारीगण जेल में रहेंगे तो राजस्व बढ़ेगा।

पांच राज्यों के चुनाव नतीजे और 2024 के लोक सभा चुनाव रिजल्ट भी बताएंगे कि देश का भविष्य कैसा रहेगा।देश बचेगा या ........????

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