गुरुवार, 1 दिसंबर 2022

 भगवान भी उसी की मदद करता है 

जो अपनी मदद खुद करे !

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 महा कालेश्वर के समक्ष राहुल गांधी का साष्टांग दंडवत

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  सुरेंद्र किशोर

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इस पोस्ट के साथ नीचे ‘इंडियन एक्सप्र्रेस’ की कटिंग है।

उसमें एक चित्र है।

चित्र में यह नजर आ रहा है कि कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी उज्जैन में महाकालेश्वर मंदिर के गर्भ गृह के सामने दंडवत प्रणाम कर रहे हैं।

यानी, पेट के बल लेट कर प्रणाम !

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एक कहावत है कि भगवान भी उसी की मदद करता है जो अपनी मदद खुद करता है।

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कांग्रेस ने सन 1984 के बाद ‘खुद की मदद करना’ बंद कर दिया है।

कल्पना रहित नेतृत्व इसका सबसे बड़ा कारण है।

उसके कुछ अन्य कारण भी हैं।

उन कारणों को दूर किए बिना महाकालेश्वर भी उनकी मदद नहीं कर सकते।

पर, कांग्रेस नेतृत्व उन कारणों को दूर करने को क्या अब भी तैयार है ?

क्या उसे उन कारणों की पहचान भी है ?

शायद नहीं है।

या, है भी तो लगता है कि कांग्रेस अपने-आप को सुधारने की क्षमता भी अब खो बैठी है।

एक लोकतांत्रिक मिजाज का व्यक्ति होने के कारण मेरी यह व्यक्तिगत राय रही है कि कांग्रेस कम से कम एक मजबूत व जिम्मेवार प्रतिपक्ष की भूमिका निभाना सीख जाए।

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अवसान के कारण 

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सन 2014 लोस चुनाव में करारी हार के बाद गठित ए.के. एंटोनी समिति ने कहा था कि ‘‘हम इसलिए हारे क्योंकि मतदाताओं को यह लगा कि कांग्रेस अल्पसंख्यकों की तरफ जरूरत से अधिक झुकी हुई है।’’

एंटोनी ने अन्य बातें भी कहीं।

किंतु कांग्रेस नेतृत्व ने उस रपट पर ध्यान भी नहीं दिया।यानी खुद में सुधार नहीं किया।

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 पराभव के कुछ अन्य ठोस कारण भी हैं।

उन कारणों को समझने,स्वीकारने और उन्हें दूर करने की जरूरत है।

 भ्रष्टाचार,घोटाले-महा घोटाले कांग्रेस के पतन के दूसरे कारण रहे।

टुकड़े -टुकड़े गिरोह तथा अन्य देश तोड़क ताकतों के खिलाफ कांग्रेस डटकर खड़ी नहीं हो पा रही है।

उसकी वोट बैंक की राजनीति उसमें बाधक है।

इस रुख ने कांग्रेस को जनता में काफी कमजोर बनाया।

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 भ्रष्टाचार के प्रति कांग्रेस की क्या राय है ?

क्या वही राय है जो नोबेल विजेता व राहुल गांधी के अघोषित आर्थिक सलाहकार अभिजीत बनर्जी की है जिन्होंने कांग्रेस को ‘‘न्याय योजना’’ का मंत्र दिया है ?

अभिजीत बनर्जी ने 2019 में कहा था कि ‘‘नरेंद्र मोदी सरकार ने भ्रष्टाचार को देश की अर्थ व्यवस्था से काट कर अलग कर दिया जो अच्छा नहीं हुआ।’’(हिन्दुस्तान टाइम्स)

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एक ही परिवार के तीन अकुशल मांझी डगमगाती नाव को तीन दिशाओं की ओर अनंत काल तक खींचते नहीं रह सकते।

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इस देश के बड़े -बड़े नेता विदेशों में जाकर अपना इलाज तो करवाते ही हैं।

उसी तरह जिन दलों की लोकप्रियता में गिरावट जारी है,वे भी विदेशी विशेषज्ञों को बुलाकर गिरावट के कारणों की जांच करवा लें।

उन कारणों को दूर करने का उपाय करें।

तभी दलों का पुनरुद्धार संभव है।

मेरा मानना है कि कारणों का जो विवरण मैंने यहां दिया है,वैसा ही विवरण किसी विदेशी विशेषज्ञ से भी उन्हें प्राप्त होगा।

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30 नवंबर 22  



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