बिहार के डी.जी.पी.के रूप में राजविंदर
सिंह भट्टी की नियुक्ति सराहनीय
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सुरेंद्र किशोर
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नब्बे के दशक की बात है।
उन दिनों मैं दैनिक जनसत्ता (इंडियन एक्सपे्रस प्रकाशन समूह ) का बिहार संवाददाता था।
एक दिन मुझे इंडियन एक्सप्रेस के दिल्ली आॅफिस से फोन आया।
फोन एक वरिष्ठ मैनेजर का था।वे पूर्णिया के मूल निवासी थे।
आम तौर पर,तब ‘जनसत्ता’ के किसी संवाददाता को किसी मैनेजर का फोन नहीं आता था
--वह भी किसी पैरवी के लिए।
जिस मैनेजर की बात कर रहा हूं ,
उनके भाई पूर्णिया में अपना व्यवसाय चलाते थे ।
पूर्णिया जिले का एक बाहुबली से उन्हें काफी परेशान कर रहा था।
उससे तंग आकर वे अपनी संपत्ति बेच कर बिहार से बाहर चले जाना चाहते थे।
किंतु राजनीतिक संरक्षण प्राप्त वह बाहुबली उन्हें संपत्ति बेचकर भागने भी नहीं दे रहा था।
एक्सप्रेस के मैनेजर ने मुझसे कहा कि ‘‘आप मेरे भाई की कोई मदद कर सकते हों तो मैं आभारी रहूंगा।’’
मैंने पता लगाया।
वहां यही भट्टी साहब एस.पी.थे।
यह भी पता चला कि वे कत्र्तव्यनिष्ठ अफसर हैं।
यह जानकर मैंने उन्हें फोन किया।
अपना परिचय दिया और समस्या बताई।
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बाद में मुझे पता चला कि मेरा फोन जाने के तुरंत बाद भट्टी साहब ने उस पीड़ित व्यवसायी के लिए वह सब कुछ कर-करा दिया जो वे चाहते थे।
उस व्यवसायी को सुरक्षा देकर पूर्णिया जिले की सीमा तक पहुंचवा दिया भट्टी साहब ने।
जिन लोगों ने वह दौर देखा और झेला है,वे आसानी से यह समझ सकते हैं कि भट्टी साहब कितनी विपरीत परिस्थिति में वह काम कर रहे थे।
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इस पृष्ठभूमि में जब मुझे कल पता चला कि भट्टी साहब डी.जी.पी.बन रहे हैं तो मेरी उम्मीद
जगी कि अब बिहार की बिगड़ती कानून-व्यवस्था में काफी सुधार होगा।
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आज बिहार की शासकीय पृष्ठभूमि भी इस कत्र्तव्यनिष्ठ डी.जी.पी.के लिए अनुकूल है।
नब्बे के दशक वाली स्थिति अब नहीं है।
उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव इस बार पद संभालने के बाद से ही राज्य के अपराधकर्मियों को चेतावनी दे रहे हैं।
कह रहे हैं कि अब पहले जैसा नहीं चलेगा।
हालांकि इसके बावजूद अनेक अपराधी तत्व तेजस्वी यादव के संकेत को ग्रहण नहीं कर रहे हैं।
उम्मीद है कि नए डी.जी.पी.उन लोगों को सही रास्ते पर लाने का प्रबंध देर-सबेर कर देंगे।
याद रहे कि मुख्य मंत्री नीतीश कुमार तो शुरू से ही कहते रहे हैं कि ‘‘न किसी को बचाऊंगा और न किसी को फंसाऊंगा।’’
वे यथासंभव इसका पालन भी कर रहे हैं।भट्टी की नियुक्ति से मुख्य मंत्री की मंशा का पता चल जाता है।
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सत्ता संभालने के बाद सन 2005 से लेकर 2010-12 तक बिहार में सुशासन का दौर था।
बाद में भी रहा किंतु ढीला-ढाला।
अब उसे फिर से पहले जैसा चुस्त-दुरुस्त करने की जरूरत है।
इसके लिए सबसे पहले जिला आरक्षी अधीक्षकों को ‘कर्तव्य निष्ठ’ बनाना पड़ेगा।
भट्टी साहब,पता लगाइए कि डी.एन.गौतम और किशोर कुणाल जैसे अफसर जब किसी जिले के एस.पी.बनते थे तो क्यों अधिकतर अपराधी वह जिला छोड़ कर भाग जाते थे ?
आज उस स्थिति में इतना बदलाव क्यों आया है ?
मर्ज जान जाने पर ही तो उसका इलाज आप कर पाएंगे !
मुझे पूरा विश्वास है कि भट्टी साहब के काम में राजनीतिक हस्तक्षेप नहीं होगा।
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2024 के लोक सभा चुनाव में भाजपा, बिहार में ‘‘बुलडोजर बाबा’’ के नमूने का प्रचार करेगी।
बगल के राज्य के योगी बाबा का बिहार में इस्तेमाल किया जाएगा।
2017 के बाद दूसरी बार भी यू.पी.में भाजपा की सरकार बन गई तो उसका सबसे बड़ा कारण बेहतर होती कानून -व्यवस्था है।
इस बार गुजरात के चुनाव प्रचार के दौरान भी अनेक मतदाताओं को यह कहते टी.वी.चैनलों पर मैंने सुना कि यहां सन 2002 के बाद कोई दंगा नहीं हुआ।पहले तो अक्सर कफ्र्यू झेलना पड़ता था।
शांति-व्यवस्था के कारण हम अपना व्यापार कर पा रहे हैं।ऐसा कहने वालों में गुजरात के अनेक मुसलमान भी थे।
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और अंत में
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बिहार के व्यापक भले के लिए मैं यह उम्मीद करता हूं कि मुख्य मंत्री,उप मुख्य और नए डी.जी.पी.ऐसे -ऐसे सख्त कदम उठाएंगे जिससे सन 2005-12 वाला सुशासन लौट आए।
उससे वोट का लाभ भी मिलेगा और पीड़ित कमजोर लोगों की दुआएं भी मिलेंगी।
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फेसबुक वाॅल से
19 दिसंबर 22
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