मंगलवार, 13 दिसंबर 2022

 अरे भई,जेपी गंगा पथ को जेपी गंगा पथ ही रहने दो ,

क्यों खामख्वाह उसे ‘मरीन ड्राइव’ नाम दे रहे हो ?!

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सुरेंद्र किशोर

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यदि आपको सड़क जाम की महा विपत्ति में फंसे बिना पटना के गांधी मैदान से पटना एम्स पहुंचना हो तो जेपी गंगा पथ से गुजरिए।

कल मैंने वही सुगम राह पकड़ी थी।

  पर,गांधी मैदान और जेपी गंगा पथ के बीच के संपर्क मार्ग पर एक सरकारी साइन बोर्ड देखकर मुझे झटका लगा।

उस पर लिखा है--‘मरीन ड्राइव’ !

 उस साइन बोर्ड पर तीर का निशान बनाकर यात्रियों को यह निदेश दिया गया है कि आप ‘मरीन ड्राइव’ की ओर जाइए।

मुम्बई में समुद्र किनारे की सड़क को मरीन ड्राइव कहा जाता है।

क्योंकि अंग्रेजी शब्द मरीन का अर्थ है समुद्री।

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अरे भइर्, नकल करने में थोड़ी अकल तो लगा लेते !

 अधिक से अधिक यहां ‘गंगा ड्राइव’ लिख सकते थे !

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पर,क्या कीजिएगा !

जिस राज्य में बी.पी.एस.सी.की प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए भी सही -सही प्रश्न पत्र सेट करने वालों की कमी होती जा रही है,वहां नदी किनारे वाली सड़़क को मरीन ड्राइव लिख देने से किसी का क्या बिगड जाएगा !

हां, कोई बंबइया व्यक्ति पटना के इस नकली मरीन ड्राइव से कभी गुजरेगा तो जरूर हम बिहारियों पर एक बार फिर........!! 

  याद रहे कि यह गलती आम बिहारियों की नहीं,बल्कि अधपढ़ सरकारी बाबुओं की है जिन्होंने साइन बोर्ड पर मरीन ड्राइव लिखवाया। 

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 कल पहली बार मैं जेपी गंगा पथ से गुजरा।

कोरजी स्थित अपने आवास से गांधी मैदान यानी मुख्य पटना पहुंचने का एक सुगम विकल्प मिल गया।

  इससे पहले महा जाम में फंसने के डर से कई बार पटना की कम जरूरी यात्राएं मैं स्थगित करता रहा हूं।

दो दशक पहले तक पटना में जेपी गंगा पथ जैसे अद्भुत निर्माण  की कल्पना तक नहीं की जा सकती थी।

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पुनश्चः

अक्सर कुछ अखबार यह लिख देते हैं कि छपरा के मशरख में फलां घटना हुई है।

जबकि लिखना यह चाहिए था-सारण जिले के मशरख में...!

छपरा एक नगर है।

वह सारण जिला और प्रमंडल का मुख्यालय है। छपरा में मशरख नाम का कोई मुहल्ला भी नहीं है।

छपरा से मशरख मीलों दूर है।

  खैर, हमारे कुछ अखबार मशरख को छपरा तक ही पहुंचाते हैं ! बड़ी कृपा !!

सड़क महकमे के हमारे अफसर तो मरीन

ड्राइव को मुम्बई से खीेंचकर पटना तक पहुंचा देते हैं।

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12 दिसंबर 22 


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