गांधी, इंदिरा और राजीव
शहीद या कुछ और ?!
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सुरेंद्र किशोर
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महात्मा गांधी
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बिड़ला भवन के पास 20 जनवरी, 1948 को बम विस्फोट हुआ था।
उसके बाद वहां के एस.पी.,डी.आई.जी.और बाद में खुद गृह मंत्री सरदार पटेल ने बारी -बारी से गांधी जी से मुलाकात की।
उनसे विनती की कि प्रार्थना सभा में आने वालों की तलाशी लेने की आप अनुमति दीजिए।
उस पर गांधी जी ने कहा कि ‘‘यदि किसी व्यक्ति की तलाशी ली गई तो मैं उसी क्षण से आमरण अनशन शुरू कर दूंगा।’’
30 जनवरी 1948 को दिल्ली के बिड़ला भवन में आयोजित प्रार्थना सभा में नाथूराम गोड्से ने महात्मा गांधी की हत्या कर दी।
वह पिस्तौल लेकर प्रार्थना सभा में गांधी जी के पास तक पहुंच गया था।यदि आगंतुकों की तलाशी हुई होती तो गोड्से की पिस्तौल तो पकड़ ही ली गई होती।
अब आप गांधी जी को शहीद कहेंगे या कुछ और ?
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इंदिरा गांधी
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याद रहे कि सन 1984 के ‘ब्लू स्टार आपरेशन’ के बाद प्रधान मंत्री इंदिरा गांधी की सुरक्षा में लगे बड़े अफसरों ने प्रधान मंत्री के आवास पर तैनात सिख सुरक्षाकर्मियों को वहां से हटवा दिया था।
पर, जब इस बात का पता इंदिरा जी को चला तो उन्होंने उन सिख सुरक्षाकर्मियों को फिर से अपने आवास पर तैनात करवा दिया था।
उन्हीं सुरक्षाकर्मियों ने प्रधान मंत्री की हत्या कर दी।
अब आप इंदिरा गांधी को शहीद कहेंगे या अपनी सुरक्षा के प्रति लापरवाह नेता ?
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राजीव गांधी
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राजीव गांधी के पेरम्बदूर दौरे के समय
‘ब्लू बुक’ में दर्ज सुरक्षा के उपायों का पालन नहीं किया गया था।
राजीव गांधी के पास जाने वालों की तलाशी होनी चाहिए थी।
जब ‘मानव बम’ धनु राजीव गांधी की ओर बढ़ रही थी तो एक उप निरीक्षक स्तर की महिला सुरक्षाकर्मी अनुसूया अर्नेस्ट ने उसे आगे बढ़ने से रोका।
अनुसूया ने एक नहीं, तीन-तीन बार रोका।
राजीव यह सब कुछ ही गज की दूरी से देख रहे थे।
उन्होंने अनुसूया से कहा कि ‘‘ उसे आने दीजिए।’’
फिर क्या था !
धनु राजीव के पास पहुंच गई।
फिर जो कुछ हुआ,वह इतिहास है।
राजीव गांधी के साथ अन्य अनेक बहुमूल्य लोगों की जानें गईं।
ऐसे में आप राजीव गांधी को शहीद कहेंगे या अपनी सुरक्षा के प्रति एक लापरवाह नेता ??
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अधिक दिन नहीं हुए जब तब के गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने संसद में कहा था कि राहुल गांधी अब तक 125 बार सुरक्षा नियमों का उलंघन कर चुके हैं।
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.कुछ नेता गैर जिम्मेदाराना व्यवहार करते हैं और नतीजतन जानें आम निर्दोष लोगों की जाती हैं।
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21 दिसंबर 22
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