जब आजादी के बाद से ही सरकारी धन की लूट शुरू हो गयी तो
80 करोड़ लोगों को आज भी मुफ्त अनाज देने की मजबूरी रहेगी ही।
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1985 में प्रधान मंत्री राजीव गांधी ने कहा था कि हम 100 पैसे दिल्ली से भेजते हैं और उसमें से सिर्फ 15 पैसे ही जनता तक पहुंच पाते हैं।
बीच के प्रधान मंत्रियों के नामों को याद कर लीजिए।
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सुरेंद्र किशोर
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प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने मुफ्त राशन योजना की अवधि का विस्तार किया तो कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा कि यह विस्तार आर्थिक संकट का संकेत है।
जयराम ने सही कहा।
पर,यह संकट शुरू किसने किया ?
किसने इसे बढ़ाया ?
जाहिर है कि आजादी के तत्काल बाद की सरकारों ने ही।
कारण--भीषण सरकारी भ्रष्टाचार।
जब सरकारी संसाधनों की भारी लूट हो जाएगी तो सामान्य विकास के लिए पैसे कहां से आएंगे ?
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नमूना-एक
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संविधान के नीति निदेशक तत्व वाले चैप्टर में लिखा हुआ है कि ‘राज्य अपनी नीति इस प्रकार संचालित करेगा कि सुनिश्चित रूप से आर्थिक व्यवस्था इस प्रकार चले जिससे धन
और उत्पादन के साधनों का सर्व साधारण के लिए अहितकारी केंद्रीकरण न हो।’
पर, ऐसा हुआ क्या ?
नहीं हुआ।
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नमूना -दो
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संविधान के पालन के बदले जो कुछ हुआ, वह जल्द ही एक बड़े नेता की जुबान से सामने आ गया।
सन 1963 में ही तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष डी.संजीवैया को इन्दौर के अपने भाषण में यह कहना पड़ा कि
‘वे कांग्रेसी जो 1947 में भिखारी थे, वे आज करोड़पति बन बैठे।
गुस्से में बोलते हुए कांग्रेस अध्यक्ष ने यह भी कहा था कि ‘झोपड़ियों का स्थान शाही महलों ने और कैदखानों का स्थान कारखानों ने ले लिया है।’
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नमूना-तीन
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1971 के बाद तो सरकारी पैसों की लूट की गति तेज हो गयी।
अपवादों को छोड़कर सरकारों में भ्रष्टाचार ने संस्थागत रूप ले लिया।
प्रधान मंत्री इंदिरा गांधी ने तब दो
बातें कहीं थीं।
उन्होंने कहा कि भ्रष्टाचार तो वल्र्ड फेनोमेना है।सिर्फ भारत में ही थोड़े ही है।
उन्होंने यह भी कहा कि ‘‘मेरे पिता संत थे ,पर मैं पालिटिशियन हूं।’’
याद रहे कि जवाहरलाल नेहरू ने निजी संपत्ति नहीं बनाई।उनकी कुछ दूसरी कमियां थीं जिनसे देश आगे नहीं बढ़ सका।बढ़ा भी तो बहुत ही कम।
नतीजतन हम 1962 में चीन के हाथों बुरी तरह हार गये।
भोजन के लिए पी.एल.-480 के तहत अमरीकी गेहूं पर निर्भर थे।
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नमूना-4
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सरकारें बदलती गयीं ।सार्वजनिक धन की लूट पर किसी एक दल का एकाधिकार नहीं रहा।ईमानदार नेता और अफसर अपवाद स्वरूप ही इक्के दुक्के नजर आने लगे।
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नमूना-5
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23 जनवरी, 2018 के एक अखबार का शीर्षक था -
‘देश में 2017 में जितनी संपत्ति बढ़ी उसका 73 प्रतिशत हिस्सा, यानी 5 लाख करोड़ रुपए सिर्फ 1 प्रतिशत अमीरों के पास पहुंचा।’
अपवादों को छोड़कर जिस देश के राजनीतिक नेता करोड़ों-अरबों कमाएंगे तो उनकी प्रत्यक्ष-परोक्ष मदद से उस देश के व्यापारी अरबों--खरब कमाएंगे ही !
भाड़ में जाए करोड़ों - करोड़ वह जनता जिसे आज भी पेट को अपनी पीठ से अलग रखने के लिए एक जून का भोजन किसी तरह मिल पाता है !
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नमूना-6
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‘‘चाहे यह भ्रष्टाचार का विरोध हो या भ्रष्ट के रूप में देखे जाने का भय,शायद भ्रष्टाचार अर्थ -व्यवस्था के पहियों को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण था, इसे काट दिया गया है।
मेरे कई व्यापारिक मित्र मुझे बताते हैं निर्णय लेेने की गति धीमी हो गई है।.............’’
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--नोबेल विजेता अभिजीत बनर्जी,
हिन्दुस्तान और हिन्दुस्तान टाइम्स
23 अक्तूबर 2019
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इस नोबल विजेता ने ही राहुल गांधी को ‘‘न्याय योजना’’ शुरू करने की सलाह दी थी।
भ्रष्टाचार के समर्थकों के बीच का यह गहरा संबंध देख लीजिए !
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नमूना-7
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आज जब देश के दर्जनों प्रमुख नेताओं के खिलाफ भ्रष्टाचार के भीषण आरोपों की जांच हो रही है तो कांग्रेस तथा उसके सहयोगी दल कह रहे हैं कि बदले की भावना यह सब हो रहा है।
यदि सिर्फ ऐसा ही होता तो मांग के बावजूद कांग्रेस की राजस्थान सरकार ने पूर्व मुख्य मंत्री वसुधंरा राजे के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच क्यों नहीं कराई ?
दरअसल कांग्रेस चाहती है कि भ्रष्टाचार के मामले में तुम हमें संरक्षण दो,हम तुम्हें संरक्षण देंगे।
2004 में मनमोहन सरकार के गठन के तत्काल बाद राहुल गांधी का बयान आया था-अटल बिहारी सरकार के भ्रष्टाचारों की हम जांच कराएंगे।
क्या किया राहुल ने ?
दरसल उन्हें बता दिया गया होगा कि हमारे बीच समझौता है--बोफोर्स घोटाले में अटल सरकार ने हमें बचा जो लिया था !
नरेंद्र मोदी राज में वह समझौता टूट गया है।
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अंततः मतदाताओं के लिए संदेश -
अगले किसी भी चुनाव में ऐसी ही सरकारें चुनो जो भरपूर टैक्स वसूले।
ईमानदारी से उन पैसों को विकास ,कल्याण और सुरक्षा कार्यों में लगाए।
देख लो आज इजरायल सरकार को अपने देश को जेहादियों से बचाने के लिए युद्ध पर कितना अधिक धन खर्च करना पड़ रहा है।
भारत को भी एक दिन खर्च करना पड़ सकता है।
क्योेंकि पी.एफ.आई.ने घोषणा कर रखी है कि सन 2047 तक हमें हथियारों के बल पर भारत को इस्लामिक देश बना देना है।इस जेहादी संगठन पी.एफ.आईग्. को वोट के लिए हमारे कुछ नेतागण या तो मान सिंह की तरह सक्रिय सहयोग कर रहे हैं तो जयचंद की तरह चुप रह कर सहयोग कर रहे हैं।
पी.एफ.आई.ने मुस्लिम देश से पैसे लेकर शाहीनबाग जाम कराया था।
उधर से चीन हमारे बड़े भूभाग पर कब्जा करना चाहता है। हमको देर- सबेर दोनों देशों यानी चीन-पाक से एक साथ युद्ध करना पड़ सकता है।
साथ ही के भीतर चीनपंथी नेताओं,जेहादपक्षी भारतीयों तथा
वोट बैंक लोलुप दलों से भी।
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6 नवंबर 23
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