मंगलवार, 14 नवंबर 2023

 नेहरू के जन्म दिन पर

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नेहरू के निधन के बाद डा.राममनोहर लोहिया ने 

कहा था कि ‘1947 के पहले के नेहरू को मेरा सलाम !’  

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डा.लोहिया ने ठीक ही कहा था।मैं भी आज यही कहूंगा।

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1947 के बाद के नेहरू पर हम लोग अन्य अवसरों पर ‘‘बातचीत’’ व लेखन करते रहते हैं।

बाद की उनकी भूमिका विवादास्पद रही।

पर, 1919 के नेहरू को याद करना आज के माहौल में 

बहुत ही प्रासंगिक है।

क्योंकि आज कोई युवा अपना सुखमय जीवन छोड़कर देश के लिए राजनीति में नहीं कूद रहा है।

कोई कूद भी रहा है तो अपना और अपने परिजन का जीवन

और भी सुखमय बनाने के लिए।

उधर सन 1919 में नेहरू ने खुद को अनिश्चितता के भंवर में डाल दिया था।

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‘जालियांवाला बाग में 13 अप्रैल 1919 को हुए भीषण नर संहार से क्षुब्ध होकर जवाहरलाल नेहरू आजादी की लड़ाई में शामिल हो गये।

जवाहर लाल जी की बहन कृष्णा हठी सिंह ने लिखा है कि 

‘‘उस घटना ने नेहरू परिवार के जीवन प्रवाह को ही बदल दिया था।

इसी दर्दनाक घटना के बाद आजादी की लड़ाई में शामिल होने को लेकर परिवार की दुविधा समाप्त हो गई थी।’

  हठी सिंह के अनुसार ‘‘उससे पहले जवाहर तो आजादी की लड़ाई में शामिल होने को बेताब थे।

पर मोतीलाल नेहरू का मानना था कि मुट्ठी भर लोगों के जेल चले जाने से देश गुलामी से मुक्त नहीं हो सकता।’

एक नरंसहार के कारण  जवाहर लाल नेहरू जैसा शानदार और जानदार नेता आजादी की लड़ाई के लिए मिल गया।

नेहरू ने अपना सुखमय जीवन छोड़कर अनिश्चितता के भंवर में खुद को डाल दिया था।

वे युवकांे के हृदय सम्राट थे।मैंने 1962 में उन्हें छपरा की विशाल जन सभा में सुना और करीब से देखा भी था।

उनसे प्रेरणा लेकर न जाने कितने नौजवान आजादी की लड़ाई में शामिल हुए होंगे।उनके निधन के समय मैं एक बारात में था।

रेडियो पर शोक गीत सुन -सुन कर मैं भी खूब रोया था।

काश ! नेहरू की जैसी शानदार-जानदार भूमिका स्वतंत्रता आंदोलन के दिनों में थी,वैसी ही शानदार भूमिका आजादी के बाद देश को बनाने में रही होती ।

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अब 1919 से आज की तुलना करते हैं।

आज कितने नौजवान अपना सुखमय जीवन त्याग कर देश के लिए राजनीति में आ रहे हैं ?

लोगों को शंका होती है कि आ भी रहे हैं तो अरविंद केजरीवाल जमात जैसी ‘‘भूमिका’’ निभाने के लिए ???

अपवादों की बात और है।

पर,अपवादों से देश नहीं चलता।

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1919 में देश को विदेशियों से आजाद कराने की चुनौती थी।

आज देश को ‘‘देशियों -विदेशियों’’ से बचाने की जरूरत है जो देश को नये ढंग से गुलाम बनाने की गंभीर कोशिश में लगे हुए हैं।

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14 नवंबर 23

    


 


 


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