कुछ निजी टी.वी.चैनलों के
डिबेट्स हो रहे निरर्थक !
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दर्शकों की ओर से क्यों न घोषित हो ‘डिबेट डुबाऊ पुरस्कार ?’
और टोका-टोकी महारथि सम्मान ?
होली के अवसर पर मूर्ख सम्मान और महा मूर्ख सम्मान दिया ही जाता है !
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सुरेंद्र किशोर
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कुछ निजी चैनलोें पर जारी डिबेट्स में शामिल अतिथियों में किन-किन को ‘‘डिबेट डुबाऊ पुरस्कार’’ मिलना चाहिए ?
यानी, ऐसे अतिथि जो जिस किसी डिबेट में शामिल होते हैं,उसे जब चाहते हैं ,डिरेल कर देते हैं।
मुद्दा कुछ भी वे हर दम अपना ही गीत गाने लगते है।
ऊबकर दर्शक चैनल बदल लेते हैं।
ऐसे उपद्रवी तत्वों की बेसुरी आवाज को कुछ देर के लिए बंद कर देने के उपकरण की मौजूदगी के बावजूद एंकर कुछ नहीं करते।
क्या एंकर दर्शकों को मूर्ख समझते हैं कि वे झेलते रहेंगे ?
ऐसे उपद्रवी तत्वों के दो-तीन नाम मैं ले सकता हूं।
कुछ आप भी बताइए।
एक व्यक्ति ने मुझसे कहा कि वैसे लोग जहां भी होते हैं,उस चैनल पर मैं ठहरता ही नहीं।
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एंकरों में से एक एंकर,अपने अतिथि से भी अधिक बोलता रहता है।
जरूरत नहीं रहने पर भी हरदम टोका-टोकी करता रहता है।
उस नाम के बारे में तो आपको भी कोई दुविधा नहीं होगी।
उसे टोकाटोकी महारथि सम्मान दिया जाता है।
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25 नवंबर 23
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