दो ही विकल्प
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आतंक को हराओ या आतंक के हाथों हार जाओ
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सुरेंद्र किशोर
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‘‘आतंक को यथाशीघ्र समाप्त करो या आतंक के हाथों खुद के ही समाप्त हो जाने की प्रतीक्षा करो।’’
लगता है कि अमेरिका आज इसी नतीजे पर पहुंच चुका है।
यदि आतंक ने अंततः इजरायल पर फतह हासिल कर ली तो आतंक यूरोप की ओर बढ़ेगा।
वहां उसके लिए कभी के ‘‘शरणार्थियों’’ ने भूमिका तैयार कर रखी है।
वहां से आतंक अमेरिका पहुंचेगा।
अमेरिका ‘नाइन-एलेवन’ नहीं भूल सकता !!!
उसके बाद कहां -कहां पहुंचेगा,इसका अनुमान लोगबाग लगा लें।
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नब्बे के दशक में ही अमरीकी राजनीतिक वैज्ञानिक सेम्युएल
पी. हंटिग्टन ने लिख दिया था कि ‘‘शीत युद्ध की समाप्ति के बाद अब देशों के बीच नहीं, बल्कि सभ्यताओं के बीच संघर्ष होगा।
उस संघर्ष में चीन इस्लामिक देशों के साथ रहेगा।’’
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सुरेंद्र किशोर
नवंबर 23
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