सोमवार, 13 नवंबर 2023

 दीपावली के अवसर पर पैसे वाले अपने पैसों का 

हिसाब-किताब करते हैं।

मैं अपने जीवन में मिली संतुष्टि का हिसाब बताता हूं।

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पहले कबीर को याद कर लूं--

‘‘....,जब आवे संतोष धन,सब धन धूली समान !

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आज मैं एक अत्यंत संतुष्ट व्यक्ति हूं।

मुझे ऐसी संतुष्टि उपलब्ध कराने में मेरे परिवार,रिश्तेदार,

मित्र,सहकर्मी तथा समाज के अन्य अनेक लोगों का 

योगदान रहा है।सबके प्रति आभारी हूं।

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अब एक ही इच्छा है--अंत समय तक कुछ 

लिखता और कुछ अधिक पढ़ता रहूं।

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सुरेंद्र किशोर

12 नवंबर, 23




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