उनके जन्म दिन पूर्व उप प्रधान मंत्री एल.के.आडवाणी से मिलने और उन्हें बधाई देने कल प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी,गृह मंत्री अमित शाह और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह उनके आवास पहुंचे थे।
आडवाणी जी 96 साल के हो गये।
बिहार के स्वतंत्रता सेनानी व समाजवादी नेता रामजीवन सिंह भी 2 नवंबर को 92 साल के हो गये।
पर,समाजवादी धारा के किसी नेता ने उनकी खोज-खबर नहीं ली।
राजनीति से रिटायर होकर रामजीवन बाबू अपने गांव(मंझौल,बेगूसराय)रहते हैं।
मैंने यूं ही लिख दिया।राम जीवन बाबू को इसकी चिंता भी नहीं रहती कि कौन मिलता है और कौन नहीं।
आडवाणी जी के चेहरे पर तो थोड़ी उदासी का एक स्थायी भाव नजर आता है।
पर,महेश जी के वाॅल पर रामजीवन सिंह की तस्वीर जब मैं देखता हूं तो मुझे यह नहीं लगता कि वे इस किसी फिक्र में हैं।
रामजीवन सिंह 1967 में पहली बार विधायक बने थे। तब से वे एकाधिक बार मंत्री और सांसद भी रहे।
जहां तक मुझे याद है,समाजवादी धारा की पार्टी के कभी वे बिहार अध्यक्ष भी थे।
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संघ परिवार और समाजवादी परिवार के नेताओं में यही अंतर हेै।
संध परिवार वाले आम तौर पर अपने लोगों से पारिवारिक जैसा संबंध रखते हैं।अपने लोगों के घर जाते रहते हैं।
पर,मैंने कुछ दशकों से देखा है,अपवादों को छोड़ कर सत्ता में आने के बाद अधिकतर समाजवादी ‘साहब’ बन जाते हैं।हालांकि सब एक जैसे नहीं होते।पर अपवादों से तो देश नही चलता न ही कोई संगठन।
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सुरेंद्र किशोर
नवंबर 23
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