अभी से तय होने लगे हैं 2024 के
लोक सभा चुनाव के मुद्दे और नारे
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जिन्ना के ‘डायरेक्ट ऐक्शन डे’ के दिन ममता का ‘खेला होबे दिवस’ बनाम नरेंद्र मोदी का ‘विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस’
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--सुरेंद्र किशोर--
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लगता है कि पश्चिम बंगाल की मुख्य मंत्री ममता बनर्जी का सन 2024 के लोस चुनाव के लिए भी चुनावी युद्ध घोष होगा--
‘खेला होबे।’
पर इसमें कुछ अलग ढंग का भावनात्मक तत्व भी होगा।
यह संयोग नहीं है कि तृणमूल कांग्रेस ‘खेला होबे’ दिवस
16 अगस्त को मनाने जा रही है।
‘खेला होबे’ दिवस बंगाल तथा कुछ अन्य राज्यों में भी मनाया जाएगा।
देश के विभाजन को सुनिश्चित करने के लिए मुहम्मद अली जिन्ना ने 16 अगस्त 1946 को ‘सीधी कार्रवाई दिवस’ मनाया था।
उसके कारण बंगाल में चार दिवसीय हिंसा में 10 हजार लोग मारे गए थे।
15 हजार लोग घायल हुए थे।
उस नर संहार ने देश के बंटवारे के लिए नेताओं को बाध्य कर दिया था।
दूसरी ओर, नरेंद्र मोदी ने हर साल 14 अगस्त को ‘‘विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस’’ मनाने का निर्णय किया है।
याद रहे कि 14 अगस्त, 1947 को भारत से काटकर अलग पाकिस्तान की स्थापना हुई थी।
बंटवारा जनित हिंसा में 10 लाख लोग मरे और डेढ़ करोड़ लोग विस्थापित हुए थे।
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विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस मनाने वाले
यह जान चुके हैं कि कुछ लोग एक और विभाजन की पृष्ठभूमि इस देश में तैयार कर रहे हैं।
वे अंततः सफल होंगे या नहीं,यह और बात है।
वैसे विभाजनकारी लोगों को कई वोटलोलुप नेता व दल भी साथ दे रहे हंै।
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खैर जो हो !
जो होगा,देखा जाएगा।
किंतु अगले लोक सभा चुनाव का चुनावी युद्ध घोष अभी से तय होता जा रहा है।
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तृणमूल कांग्रेस का तर्क है कि 16 अगस्त 1980 को कलकत्ता में ईस्ट बंगाल फुटबाॅल क्लब और मोहन बगान एथलेटिक क्लब के समर्थकों के बीच बड़ी हिंसा हुई थी।
एक दर्जन से अधिक दर्शक मारे गए थे।
उस अवसर को याद करने के लिए 16 अगस्त को ‘खेला होब’े
दिवस मनाया जा रहा है।
पर,तृणमूल के इस तर्क पर कौन विश्वास करेगा।
फुटबाॅल के इतिहास में किसी बड़ी उपलब्धि वाले दिवस को खेला होबे दिवस के रूप में मनाया जा सकता था।
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संकेत हैं कि ऊपर लिखे दोनों मुद्दों पर देश के लोग दो धु्रव पर रहेंगे।
प्रेक्षकों के अनुसार सन 2022 के उत्तर प्रदेश चुनाव और अगले लोक सभा चुनाव में भी ऐसा ही होगा।
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15 अगस्त 21
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