अफगानी सेना में फैले भ्रष्टाचार ने
तालिबानियों की जीत आसान कर दी
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काश ! अफगानी सेना व वहां के पिछले शासक
ने सन 1962 के भारत से सबक सीखा होता !
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--सुरेंद्र किशोर--
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सन 1962 का चीनी हमला और हमारी सैनिक तैयारी
का हाल तब के एक युद्ध संवाददाता के शब्दों में पढ़िए-
देश के प्रमुख पत्रकार मनमोहन शर्मा के अनुसार,
‘‘एक युद्ध संवाददाता के रूप में मैंने चीन के हमले को कवर किया था।
मुझे याद है कि हम युद्ध के लिए बिल्कुल तैयार नहीं थे।
हमारी सेना के पास अस्त्र,शस्त्र की बात छोड़िये,कपड़े तक नहीं थे।
नेहरू जी ने कभी सोचा ही नहीं था कि
चीन हम पर हमला करेगा।
एक दुखद घटना का उल्लेख करूंगा।
अंबाला से 200 सैनिकों को एयर लिफ्ट किया गया था।
उन्होंने सूती कमीजें और निकरें पहन रखी थीं।
उन्हें बोमडीला में एयर ड्राप कर दिया गया
जहां का तापमान माइनस 40 डिग्री था।
वहां पर उन्हें गिराए जाते ही ठंड से सभी बेमौत मर गए।’’
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1962 युद्ध से पहले सेना ने जरूरी सामान खरीद के लिए भारत सरकार से एक करोड़ रुपए मांगे थे।
नेहरू सरकार ने नहीं दिए।
दूसरी ओर,जीप घोटाला,धर्मतेजा शिपिंग घोटाला व न जाने और कैसे -कैसे घपले-घोटाले हो रहे थे !
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दूसरी ओर, तब भी सरकारी पैसे किस तरह भ्रष्टाचार के जरिए लूटे जा रहे थे,उसका हाल 1963 में खुद कांग्रेस अध्यक्ष डी.संजीवैया ने इंदौर के एक भाषण ने इन शब्दों में बताया था,
‘‘वे कांग्रेसी जो 1947 में भिखारी थे, वे आज करोड़पति बन बैठे।’’
गुस्से में बोलते हुए कांग्रेस अध्यक्ष ने यह भी कहा था कि ‘‘झोपड़ियों का स्थान शाही महलों ने और कैदखानों का स्थान कारखानों ने ले लिया है।’’
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चीन-भारत युद्ध का नतीजा क्या हुुआ था,यह दुनिया जानती है।
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मोदी राज में स्थिति थोड़ी बदली है।
आज हमारी सरकार में भ्रष्टाचार अपेक्षाकृत कम है।
हालांकि देश को बचाने के लिए उसे और कम होना चाहिए।
सैनिक तैयारी की दृष्टि से भी इस देश की स्थिति आज बेहतर है।
फिर भी इन दोनों मामलों में हमारी सरकार को अभी बहुत कुछ करना चाहिए ।
तभी हम बाहरी व भीतरी दुश्मनों का मुकाबला सफलतापूर्वक कर पाएंगे।
बाहरी से अधिक भीतरी दुश्मन अधिक खतरनाक इरादे वाला है।
उसके इरादों को जानने-समझने-मानने के लिए इस देश के अधिकतर ‘बुद्धिजीवी’ तथा नेतागण तैयार ही नहीं हैं।
ऐसा कुछ गैर जानकारी तो कुछ स्वार्थवश है।
यह स्थिति और भी खतरनाक है।
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16 अगस्त 21
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