दोस्त-दुश्मन की पहचान
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अफगानिस्तान खासकर काबुल के ताजा नर-
संहार की घटना ने भारत के लिए एक काम
आसान कर दिया।
इस देश को उसने अपने भीतर-बाहर, खासकर भीतर के
दोस्तांे व दुश्मनों को पहचानने का अच्छा अवसर दे दिया।
बस, यही देख-जान लेना है कि वहां की ताजा नृशंस घटना पर किसकी क्या राय है।
यह भी कि कौन मौन है और कौन मुखर !
इस पहचान के बाद इस देश को अपनी आगे की रणनीति-युद्धनीति बनाने में सुविधा हो जाएगी।
--सुरेंद्र किशोर
28 अगस्त 21
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