2001 में सर्वसम्मति से तैयार की गई
आचार संहिता को लागू करने
से ही लौटेगी सदन की गरिमा
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--सुरेंद्र किशोर--
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विधायिकाओं में अनुशासन और मर्यादा बनाए रखने के उपायों पर विचार करने के लिए सन 2001 में एक राष्ट्रीय सम्मेलन बुलाया गया था।
लोक सभा के स्पीकर जी.एम.सी.बालयोगी ने सम्मेलन बुलाया था।
सम्मेलन में देश के विभिन्न सदनों के पीठासीन पदाधिकारी गण,प्रधान मंत्री अटल बिहारी वाजपेयी,लोक सभा में प्रतिपक्ष की नेता सोनिया गांधी,मुख्य मंत्रीगण तथा अन्य संबंधित गणमान्य व्यक्ति शामिल हुए।
सबने संसद व विधान मंडलों की कार्यवाही में बढ़ती अनुशासन -हीनता व घटती मर्यादा को फिर से कायम करने की जरूरत बताई।
इसके लिए सर्वसम्मति से 29 सूत्री आचार संहिता तैयार की गई।
उसमें अन्य बातों के अलावा यह भी तय किया गया कि यदि कोई सदस्य सदन की कार्यवाही में बाधा पहुंचाएगा या अपनी सीट छोड़कर वेल में जाएगा तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
उसे एक दिन या पूरे सत्र के लिए निलंबित कर दिया जाएगा।
आश्चर्य है कि सदनों में बढ़ते हंगामों व अशोभनीय दृश्यों
के बावजूद उस आचार संहिता पर अमल नहीं किया जा रहा है।
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कानोंकान
प्रभात खबर
पटना
13 अगस्त 21
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