कीटनाशक दवाओं के अंधाधुंध इस्तेमाल
से खेत, किसान और आमजन पीड़ित
..................................
--सुरेंद्र किशोर--
..................................
करीब एक साल से दिल्ली के आसपास किसानों का आंदोलन चल रहा है।
आंदोलन तब भी चल रहा है जब केंद्र सरकार ने कृषि कानून वापस ले लिए।
दूसरे मुद्दों पर आंदोलनकारी अड़े हुए हैं।
पर, किसी भी किसान नेता ने एक अत्यंत महत्वपूर्ण मुद्दा को आज तक नहीं उठाया।
किसी ने उठाया भी हो,तो इन पंक्तियों के लेखक के ध्यान में नहीं आया।
यह मुद्दा नहीं उठाने का ठोस कारण है।
क्योंकि कहा जाता है कि उसमें आंदोलनकारियों का निहितस्वार्थ है।
वह मुद्दा अत्यधिक रासायनिक खाद व कीटनाशक दवाओं के
इस्तेमाल से बढ़ रहे कैंसर का है।
इसके कुप्रभाव से मिट्टी व पेयजल भी दूषित हो रहे हैं।
देश के कई इलाकों में कैंसर बढ़ रहा है।
पंजाब इस समस्या से सर्वाधिक पीड़ित है।
पंजाब के भटिंगा से रोज बिकानेर ट्रेन जाती है जिसे कैंसर मेल कहा जाता है।
बिकानेर के एक अस्पताल में कैंसर
का मुफ्त इलाज होता है।
किंतु अन्य राज्यों में भी यह समस्या गंभीर रूप लेती जा रही है।
इसलिए कि पंजाब का अनाज देश के अन्य हिस्सों में भी जाता है।
हालांकि यह भी देखना है कि बिहार सहित अन्य राज्यों में भी रासायनिक खाद और कीटनाशक दवाओं का कितना इस्तेमाल हो रहा है।
इस राज्य के गंगा के तटीय इलाकों में फैल रहे कैंसर पर कैसे कबू पाया जाए।
पंजाब में रासायनिक खाद व कीटनाशक दवाओं को देश में सर्वाधिक इस्तेमाल करते हैं।
वहां एक हेक्टेयर में 190 किलोग्राम रासायनिक खाद का इस्तेमाल होता है।
उसी तरह वहां एक हेक्टेयर में 923 ग्राम कीटनाशक दिया जाता है जबकि राष्ट्रीय औसत 570 ग्राम है।
खबर है कि खेतों में खाद व कीटनाशक दवाएं अधिकाधिक देने के लिए मंडी के दलाल और अढ़तिए किसानों को साधन उपलब्ध कराते हैं।
अधिक उपज यानी उनके लिए अधिक मुनाफा।उनको लोगों के स्वास्थ्य से क्या सराकार ?
जबकि पंजाब सहित पूरे देश में कैंसर जनित अनाज और आर्सेनिक युक्त जल की समस्या गंभीर होती जा रही है।
कैंसर का सिर्फ यही एक कारण नहीं है।पर,रासायनिक खाद व कीटनाशक दवाएं भी कारण हैं।
.......................................
कानोंकान,
प्रभात खबर,
पटना ,
3 दिसंबर 21 .
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें